’तीस्ता सीतलवाड़ ने एनजीओ फंड का किया निजी इस्तेमाल’
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सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने साल 2002 में दंगा पीड़ितों की मदद के लिए मिले फंड को निजी कार्यो में खर्च किया है। इस बात का दावा गुजरात पुलिस ने किया है। पुलिस के मुताबिक दंगा पीड़ितों के लिए एनजीओ को 9.75 करोड़ रुपए मिले थे। जिनमें से तीस्ता ने अपने पति जावेद आनंद के साथ मिलकर 3.85 करोड़ रुपए का इस्तेमाल निजी कार्यों के लिए किया है। इस संबंध में एसीपी राहुल पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में तकरीबन 83 पन्नों के ज़रूरी दस्तावेज भी पेश किए हैं।
ये दावा किया गुजरात पुलिस ने
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार गुजरात पुलिस ने बताया है कि साल 2007 से 2014 तक तीस्ता और उनके पति के साथ-साथ सीजेपी, सबरंग के बैंक खातों की जांच की गई हैं। इस दौरान एनजीओ को देश और विदेश से कुल 9.75 करोड़ रुपये के दान मिले थे। पुलिस का दावा है कि सीतलवाड़ और उनके पति ने दान की इस रकम में से 3.85 करोड़ रुपये का इस्तेमाल व्यक्तिगत खर्चों पर किया।
-पुलिस के अनुसार, 1 जनवरी 2001 को दोनों ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई शाखा में दो अकाउंट्स खुलवाए जिनमें 31 दिसंबर 2002 तक पैसे जमा नहीं किए गए थे। लेकिन जनवरी 2003 से लेकर दिसंबर 2013 के बीच आनंद ने 96.43 लाख रुपये जबकि सीतलवाड़ ने 1.53 करोड़ रुपये अपने-अपने अकाउंट में जमा कराए। इतना ही नहीं पुलिस का यह भी आरोप है कि फरवरी 2011 से जुलाई 2012 के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 1.40 करोड़ रुपये का फंड दिया।
-दोनों ने इसमें से पैसे निकालकर व्यक्तिगत खर्चों पर इस्तेमाल किए। इसके साथ ही ’23 जनवरी 2014 को जैसे ही तीनों खाते सीज हुए, सीतलवाड़ और उनके पति ने तुरंत सबरंग ट्रस्ट के अन्य दो अकाउंट्स से डिमांड ड्राफ्ट के ज़रिए एक ही दिन में 24.50 लाख और 11.50 लाख रुपये ट्रांसफर किए। इन दोनों अकाउंट्स की जानकारी जांचकर्ता को नहीं थी।’
-पुलिस का आरोप है कि ”दोनों ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों को यह नहीं बताया कि बैंक खाते सीज होने के बाद दोनों ने दूसरे बैंक में सबरंग ट्रस्ट जनरल अकाउंट और सबरंग ट्रस्ट एचआरडी अकाउंट के नाम से अलग-अलग खाते खुलवा लिए हैं।” पुलिस का दावा है, ’2007 से पहले सीजेपी और सबरंग ट्रस्ट के अकाउंट्स में नाम मात्र की रकम जमा थी।
कोर्ट ने तीस्ता और जावेद की गिरफ़्तारी पर लगाई रोक
-सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की अग्रिम जमानत याचिका गुजरात हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को दोनों की गिरफ्तारी से रोक लिया, लेकिन दोनों को जांच के लिए जरूरी दस्तावेज पुलिस को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट के अलावा दोनों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का भी दरवाजा यह कहते हुए खटखटाया था कि गुजरात पुलिस ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए षडयंत्रकारी अभियान छेड़ रखा है।
-बता दें कि सीतलवाड़ ने 2002 के दंगा पीड़ितों की दुर्दशा का जिक्र करते हुए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को मनाने में सफलता पा ली जो दंगे की नौ भयावह घटनाओं की जांच करे।
कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़?
-तीस्ता एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। एक दौर में वह पत्रकार भी रही है। तीस्ता के पति जावेद आनंद भी एक पत्रकार हैं और वह एक पत्रिका निकालते हैं।
-तीस्ता की पूरी पढ़ाई मुंबई में ही हुई है।
-तीस्ता सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस(सीजेपी) नाम की संस्था की सचिव रह चुकी है।
-तीस्ता का दावा है कि वे गुजरता में भड़के दंगों में मारे गए लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत हैं।
-54 साल की तिस्ता के दादा एम.सी.सीतलवाड़ देश के पहले अटार्नी जनरल थे। उनका एक बेटा जिब्रान और बेटी तामारा है।
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