Thursday, August 31st, 2017
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क्रिएटिव माइंड किसी डिग्री का मोहताज नहीं होता हैं- राजपाल सिंह राठौड़




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‘‘मैं चाहता तो वापस जा कर आयरलैंड में आईबीएम कंपनी ज्वॉइन कर सकता हूं पर कोई आयरिश व्यक्ति आकर देश को साफ तो करेगा नहीं। मेरा देश हैं तो सफाई भी मुझे ही करना पड़ेगी, क्योंकि आने वाली जनरेशन कल से यह नहीं कहें कि इस देश में यह व्यवस्था नहीं हैं।’’ युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझाने में जुटे यंग लिडर्स कॉनक्लेव के फाउंडर राजपाल सिंह राठौड़ युवाओं के लिए एक मिसाल हैं जो देश और समाज की सेवा के लिए आईबीएम जैसी बड़ी कंपनी में नौकरी छोड़कर भारत लौट आए। Youthens News टीम द्वारा किए सा़क्षात्कार में संपादित अंश कुछ इस प्रकार हैं-

प्रश्न : यंग लीडर्स कॉनक्लेव में क्या होता है कि युथ उससे आकर जुड़े?
कई बार यह होता है कि हम फेसबुक पर या न्यूज पेपर में पड़ते है कि यहां पर यह नहीं हुआ हैं और जब काम करने की बारी आती है तब हम पीछे हट जाते है। तो यंग लीडर्स कॉनक्लेव एक ऐसे लोगों का संगम है जहां पर लोग कंप्लेंट नहीं करते है जो देश और समाज के लिए थोड़ा बहुत ही सही पर जो भी जिम्मेदारी होती  है उसे पूरा करते हैं। ये ऐसे लोगों का कॉनक्लेव होता हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जिनकी देश के लिए कुछ करने की रूचि होती हैं पर उन्हें पता नहीं होता है कि वे कैसे उस काम को करे जो वे करना चाहते है। वो लोग यूथ कॉनक्लेव से जुड़ सकते है।

प्रश्न : आप आईबीएम कंपनी छोड़कर देश और समाज की सेवा के लिए इंडिया लौट आए पर आज तो युवा बाहर जा कर पढ़ने और जॉब करने की सोच रहा हैंं। इस पर आप क्या कहेंगे?
आदमी परेशानी से कब तक भागेगा। देश में अगर कोई प्रोब्लम हैं तो देश के लोगों को ही काम करना पडेगा। मैं चाहता तो वापस आयरलैंड जा सकता हूं पर कोई आयरिश व्यक्ति आकर देश को साफ तो करेगा नहीं। मेरा देश हैं तो सफाई भी मुझे ही करना पड़ेगी, क्योंकि आने वाली जनरेशन कल से यह नहीं कहें कि इस देश में यह व्यवस्था नहीं हैं, तो उस चीज़ को सही करने के लिए मैं आयरलैंड से भारत आया हूं। मैं अपना घर खुद से साफ करने में ज्यादा भरोसा करता हूं। तो युवाओं को एक ही मैसेज दूंगा प्रोब्लम से मत भागों। अपने घर के लिए तो अपने को ही समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा।

प्रश्न : अभी तक कुल 4 कॉनक्लेव हो चुके हैं क्या बदलाव आपको यूथ में देखने को मिला ?
जैसा कि यंग लीडर्स कॉनक्लेव पहला भोपाल में हुआ, उसके बाद इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में हुआ अब अगस्त में उज्जैन में होगा। तो मैंने यह देखा कि पूरे मध्यप्रदेश की जो इंटेलेक्चुअल सोसायटी है, जिसमें युवा लोग 30 साल के है या उससे भी कम उन लोगो को मैंने कनेक्ट कर दिया हैं। इस कॉनक्लेव के माध्यम से हमने हजारों लोगों की नेटवर्किंग बनाई हैं। बहुत सारे यंग इंटरप्रेन्योर्स को रिर्सोसेज मिले है, कुछ ऐसे एनजीओ थे जिन्हें युवाओं की जरूरत थी और कुछ ऐसे युवाओं को प्लेटफॉर्म मिला गया जो एनजीओ में काम करना चाहते थे। तो नेटवर्किंग बढ़ती गई और इसका फायदा इन सभी लोगों को मिला हैं।

प्रश्न : उज्जैन में जो कॉनक्लेव होने वाला है वह किस मोटिव पर आधारित होगा?
उज्जैन में यह कॉनक्लेव लगभग 24 अगस्त, 2017 को होने वाला है। हमारी सभी कॉनक्लेव का एक ही मोटिव होता है कि मध्यप्रदेश के विकास की परिकृतना कैसी होनी चाहिए और उसमें युवाओं का क्या योगदान हो सकता हैं।

प्रश्न : आज बहुत सारे स्टूडेंट्स जॉब छोड़कर स्टार्ट-अप करते है पर फैल भी हो जाते हैं, उस स्थिति में युवाओं को क्या करना चाहिए?
मेरा यह मानना है कि Failure is one part of our life आप उसे अवॉयड नहीं कर सकते। अगर आप एक बार भी फैल नहीं हुए तो मतलब आपने जिंदगी को सही तरीके से जिया ही नहीं। You can always learn from your failure. जो आदमी हमेशा सक्सेसफुल रहा है उसको उतना एक्सपीरियंस नहीं होगा, जितना उस आदमी को जो 10 बार गिरा है। एक ही चीज कहूंगा कि आप जब भी गिरें तो वापस उतनी ताकत होना चाहिए कि आप खड़े हो पाए। क्योंकि एक कंपनी खोली है और बंद हो गई तो ठीक है कोई बात नहीं इतना क्रेज होना चाहिए कि यू स्टार्ट द नेक्स्ट प्रोजेक्ट। जब तक करेज आप के अंदर है तब तक आपको कोई हरा नहीं सकता। जिस दिन आपने सोच लिया कि अब मुझसे नहीं होगा उस दिन जो आपका खुद का एक दोस्त होता हैं ‘‘जो कि आप स्वयं’’ उसे खो देते हैं। बड़ी बात यह है कि फैल होने के बाद फिर से खड़ा होना और कुछ नया शुरू करना।

प्रश्न :  खैर, आपका फोकस म.प्र. पर हैं तो म.प्र. गवर्नमेंट ने जो  Start-up in M.P. की जो मुहिम चलाई हैं उसमें युवाओं को एमपी के कौन-से सेक्टर में स्टार्ट-अप करना चाहिए ?
मेरे ख्याल से आर्गेनिक फार्मिंग एक काफी अच्छा एरिया हैं, जो यूथ है उसको ज्यादा फोकस करना चाहिए। आर्गेनिक फार्मिंग में गवर्नमेंट के पास भी काफी सारी चीज़ें है और उसमें एक्सपेरिमेंट करने के लिए नई-नई चीज़ें काफी सारी है। तो हम सॉफ्टवेयर और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री से जुड़ने की कोशिश ना करें। मध्य प्रदेश एक एग्रीकल्चर बेस्ड स्टेट हैं जिसकी ज्यादा इनकम एग्रीकल्चर से हैं। एग्रीकल्चर में स्टार्ट-अप होते है तो ज्यादा सक्सेसफुल होने के चांसेस है आज के टाइम पर।

प्रश्न : स्टार्ट-अप में फंड रेज़ करना सबसे बड़ा चैलेंज होता है किस तरह से उस स्थिति में मैनेज करें ?
कई बार ऐसा होता है कि हम काम शुरू कर देते है पर हमारे पास प्लानिंग नहीं होती है, ‘You always just think about money’ ये मुख्य परेशानी है भारत के युवाओं की। कंपनी तो शुरू कर दी पर उसका रिजल्ट क्या होगा, उसे एक्जिक्यूट कैसे करना है वो सब कुछ तो अलग ही रह जाती है और we always think about funding। फंडिंग से पहले एक प्रोपर प्लान हो, जो आईडिया है उसे कम से कम 5 प्रतिशत तो इम्प्लीमेंट करें। दरअसल होता यह है कि आपको आईडिया पर काम शुरू करना पड़ता है कुछ प्रूफ करके बताना पड़ता है उसके बाद में आपको मार्केट से फंडिंग होती है।

प्रश्न : आज कल ऐसा भी होता है कि फैमेली बिजनेस होने के बाद भी युवा जॉब पसंद करते हैं, क्या उन्हें रिस्क टेकिंग से डर लगता हैं या जॉब एक कम्फर्ट ज़ोन लगता हैं ?
मेरा बस इतना कहना है कि जॉब करना कोई अच्छी बात नहीं हैं। भारत में हमारे पापा की जनरेशन में एक पैटर्न चला था कि बस सरकारी नौकरी मिल जाए, जिंदगी कट जाएगी और आज उसका काफी कुछ असर हमारी जनरेशन पर भी आाया है। आज अच्छे स्थापित फर्म भी अपने बच्चों को नौकरी करने के लिए कहते हैं। वह एक मेंटालिटी की प्रोब्लम है। भारत देश जॉब सिकर नहीं, जॉब क्रिएटर बनना हैं। अगर हम जॉब ढूंढ़ने के लिए ही अपनी जवानी खत्म कर देंगे। 10 हजार और 15 हजार रूपये की नौकरी में 30 साल की उम्र निकल जाएगी तो फिर आप नई चीज कब लेकर आओगे। तो 20 से 30 साल के बीच इनको नौकरी के पीछे भागने की बजाए यह सोचना चाहिए कि how i can provide job?  मंडे से फ्राइडे, 9 बजे से 5 बजे तक जॉब और सैटरडे-संडे आराम। उस कंफर्ट ज़ोन में अगर जीना है तो फिर ठीक है और अगर कुछ नया करना है, बड़ा करना है तो you will have to come out of comfort zone

प्रश्न : यूथ इन पॉलिटिक्स में आप युवाओं की भागीदारी की बात कर रहे है पर आपको क्या लगता है कि राजनीति में आने के लिए कोई डिग्री या एजुकेशन लेवल होना चाहिए ?
भारत देश की मेंटलिटी में जो चेंज आया है हमारे पैरेंट्स वालोँ कि, ‘कोई फालतू की माथा फोड़ी नहीं करना हैं, बस एक छोटी सी जॉब करके अपना घर संभालना है बस बात खत्म।’ उसके कारण नुकसान भारत का इतना बड़ा हुआ है कि उनको आईडिया भी नहीं हैं। अच्छे लोगों ने अपनी एनर्जी हमेशा खाली एक नौकरी में लगाई हैं और कुछ बुरे लोगों ने अपनी एनर्जी राजनीति में लगा ली तो सक्सेसफुल हो गए तो घाटा किसका हुआ सभी लोगों का हो गया। आज की राजनीति में जरूरी नहीं कि कोई डिग्री हो पर एक अच्छी सोच होना जरूरी हैं। डिग्रीया, शिक्षा और ज्ञान में बहुत अंतर होता है आपको ज्ञान होना चाहिए। मेरा ऐसा मानना है कि भारत में आज के समय में सबसे ज्यादा अर्पोच्यूनिटी वाला जो एरिया है जहां पर लिटरेरी देश को कुछ देना चाहते है तो राजनीति ऐसा क्षेत्र हैं जहां समाज और देश के लिए बहुत कुछ कर सकते है। क्रिएटिव माइंड हमेशा कुछ नया लेकर आता हैं, परंतु वो क्रिएटिव माइंड कभी भी किसी भी डिग्री का मोहताज नहीं होता। क्रिएटिविटी राजनीति में जरूरी हैं तो मैं हमेशा इसे एक पॉइंट देता हूं ‘innovative politics’ तभी कुछ नया कर पाओगे।

युवाओं को संदेश-
कुछ बड़ा और कुछ नया करना है तो “you will have to come out of comfort zone and you will have to fight” तभी जा कर कुछ न कुछ नया मिलेगा, और कुछ नया देश को भी आप दे पाऐंगे।

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