SC का फैसला : अनुराग ठाकुर को BCCI अध्यक्ष पद से हटाया
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कुछ ही समय पहले 22 मई 2016 को 41 वर्षीय अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले की सुनवाई करते हुए उन्हें पद से हटाने का फैसला दिया है उनके साथ ही बीसीसीआई सचिव अजय शिर्के को भी पद से हटाने का फैसला दिया।
आनाकानी से बड़ा विवाद
काफी दिनों से बीसीसीआई और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा पैनल के बीच तनाव चल रहा था। बीसीसीआई बोर्ड पर आरोप लगाया गया था कि वह लंबे समय से लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू करने से बच रहा है। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में अनुराग ठाकुर से पूछा भी कि उनके खिलाफ उन्हें पद से हटाने के लिए क्यों एक्शन न लिया जाए।
अनुराग ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू करने में रूकावट पैदा की है। उन पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी से कहा था कि वह ऐसा जारी करे जिसमें यह लिखा हो कि लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू करने से बोर्ड के कामकाज में रूकावट पैदा होगी।
जस्टिस लोढ़ा ने किया फैसले का स्वागत
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले का स्वागत करते हुए जस्टिस लोढ़ा कहा कि ‘‘ये खेल की जीत है। इस फैसले से दूसरे खेल संगठनों को भी सबक मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि मैंने अपनी 3 सिफारिशें बोर्ड को भेजी थीं, लेकिन इन्हें नहीं माना गया। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘यह क्रिकेट की जीत है खेल प्रशासक तो आते-जाते रहते हैं लेकिन खेल सबसे बड़ा है।’’
कोर्ट ने दी थी चेतावनी
इस मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को चेतावनी देते हुए कहा था कि ‘‘झूठी गवाही के लिए बोर्ड अध्यक्ष को सज़ा क्यों न दी जाए? उन पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है। अगर बिना शर्त माफी ना मांगी तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। अनुराग ठाकुर पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट में झूठ बोला और सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश की।
ये है मामला
ये मामला तब का है जब बीसीसीआई चैयरमेन शशांक मनोहर थे। तब उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी का नामांकित अफसर सरकार का दखल माना जाएगा और इसके चलते बीसीसीआई, आईसीसी की सदस्यता खो देगी। बाद में जब मनोहर आईसीसी के चैयरमेन बने तो इस संबंध में में अनुराग ठाकुर ने उनसे एक पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था लेकिन मामला में कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण मनोहर ने ऐसा करने से मना कर दिया।
इस पर अनुराग ने कोर्ट में आकर कहा कि उन्होंने इस आश्य की चिठ्ठी मांगी ही नहीं ऐसे में गोपाल ने कहा कि ये दोनों बाते अलग-अलग हैं लिहाजा अनुराग ठाकुर पर परजूरी का मामला बनता है। फिलहाल तो उन पर कोर्ट की अवमानना करने का मामला चल रहा है लेकिन अगर परजूरी का मामला साबित हुआ तो अनुराग ठाकुर जेल भी जा सकते है।
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