अल्लाह के फरिश्ते माने जाने वाले पैगम्बर हजरत मोहम्मद को मुस्लिम धर्म में काफी माना जाता है। उनके प्रति मुस्लिम लोगों में काफी आदरभाव भी है। कहा जाता है कि वे इस्लाम के आखिरी संदेशवाहक थे। जिनको अल्लाह के फरिश्ते जिब्रइल द्वारा कुरआन का संदेश दिया गया था। इन्हें इस्लाम का आखिरी ही नहीं सबसे सफल संदेशवाहक भी माना जाता है। मोहम्मद वह शख्स थे जिन्होंने हमेशा सच बोला और सच का साथ दिया। यहां हम आपको उनके जीवन और उनकी बीवियों के बारे में कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि पैगम्बर मोहम्मद की कुल 10 बीवियां थीं। कहा जाता है कि वे अपनी पहली बीवी से सबसे ज्यादा प्यार करते थे। उनकी पहली बीवी थी खदीजा बिंत ख्वालिद। खदीजा की इस्लाम धर्म में महिलाओं के अधिकार तय करवाने में अहम् भूमिका मानी जाती है। कई मायनों में उन्हें मुस्लिम समुदाय की फेमिनिस्ट भी माना जाता है।
पिता से सीखे व्यापार के गुर
खदीजा के पिता मक्का के रहने वाले एक सफल व्यापारी थे। कुराइश कबीले के पुरुष प्रधान समाज में खदीजा को हुनर, ईमानदारी और भलाई के सबक अपने पिता से मिले। उनके पिता फर्नीचर से लेकर बर्तनों और रेशम तक का व्यापार करते थे। उनका कारोबार उस समय के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों मक्का से लेकर सीरिया और यमन तक फैला था।
आज़ादख़्याल और साहसी
खदीजा की शादी पैगम्बर मोहम्मद से होने से पहले भी दो बार हो चुकी थी। उनके कई बच्चे भी थे। दूसरी बार विधवा होने के बाद वे अपना जीवनसाथी चुनने में बहुत सावधानी बरतना चाहती थीं और तब तक अकेले ही बच्चों की परवरिश करती रहीं। इस बीच वे एक बेहद सफल व्यवसायी बन चुकी थीं, जिसका नाम दूर-दूर तक फैला।
ना उम्र की सीमा हो
पैगम्बर मोहम्मद से शादी के वक्त खदीजा की उम्र 40 थी तो वहीं मोहम्मद की मात्र 25 थी। पैगंबर मोहम्मद को उन्होंने खुद शादी के लिए संदेश भिजवाया था और फिर शादी के बाद 25 सालों तक दोनों केवल एक दूसरे के ही साथ रहे। खदीजा की मौत के बाद पैगंबर मोहम्मद ने 10 और शादियां कीं। आखिरी बीवी आयशा को तब जलन होती थी जब वे सालों बाद तक अपनी मरहूम बीवी खदीजा को याद किया करते।
आदर्श पत्नी, प्रेम की मूरत
अपनी शादी के 25 सालों में पैगम्बर मोहम्मद और खदीजा ने एक दूसरे से गहरा प्यार किया। तब ज्यादातर शादियां जरूरत से की जाती थीं लेकिन माना जाता है कि हजरत खदीजा को पैगम्बर से प्यार हो गया था और तभी उन्होंने शादी का मन बनाया। जीवन भर पैगम्बर पर भरोसा रखने वाली खदीजा ने मुश्किल से मुश्किल वक्त में उनका पूरा साथ दिया।
पहले मुसलमान
हजरत खदीजा को इस्लाम में विश्वास करने वालों की मां का दर्जा मिला हुआ है। वह पहली इंसान थीं जिन्होंने मोहम्मद को ईश्वर के आखिरी पैगम्बर के रूप में स्वीकारा और जिन पर सबसे पहले कुरआन नाजिल हुई। माना जाता है कि उन्हें खुद अल्लाह और उसके फरिश्ते गाब्रियाल ने आशीर्वाद दिया। अपनी सारी दौलत की वसीयत कर उन्होंने इस्लाम की स्थापना में पैगम्बर मोहम्मद की मदद की।
गरीबों की मददगार
अपने व्यापार से हुई कमाई को हजरत खदीजा गरीब, अनाथ, विधवा और बीमारों में बांटा करतीं। उन्होंने अनगिनत गरीब लड़कियों की शादी का खर्च भी उठाया और इस तरह एक बेहद नेक और सबकी मदद करने वाली महिला के रूप में इस्लाम ही नहीं पूरे विश्व के इतिहास में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा।
Courtesy-DW