आजकल हम आए दिन युवाओं द्वारा सुसाइड करने जैसी खबरें पढ़ते हैं। किसी ने अपना रिजल्ट खराब आने के दुख में सुसाइड कर लिया, तो किसी ने लव रिलेशनशिप टूट जाने के कारण । कई तो ऐसे होते हैं, जो अपनी जिन्दगी से परेशान होकर सुसाइड जैसा आखिरी कदम उठाते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे युवा की सफलता की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसने कई मुश्किलों के बाद भी हार नहीं मानी और अपना एक शानदार और सफल बिजनेस शुरू किया।
यहां हम बात करे रहे हैं हिरण्यमय गोगोई की। जहां 22 साल की उम्र में युवा अपनी कॉलेज लाइफ में रहकर एन्जॉय करते हैं, वहीं इस उम्र में इस युवा ने देश के सभी युवाओं के लिए खुद को एक मिसाल बना दिया। उन्होंने सिखा दिया कि जीवन में बीते हुए कल के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए आगे की सोचो और मेहनत करने के लिए तैयार हो जाओ। आज वे अपने बिजनेस में सफल हैं और 300 किसानों को रोजगार दे रहा है।
बात कछ समय पहले की है , जब हिरण्मय ने अपने बड़े भाई को एक्सीडेंट में खो दिया। इस गम से वे निकल भी नहीं पाए थे कि साल 2012 में उनकी मां की मौत हो गई। इस घटना ने गोगोई को और भी कठोर बना दिया और वे डिप्रेशन में चले गए। 22 साल के गोगोई के लिए इन घटनाओं से उबरना आसान नहीं था, इसलिए वे कुछ समय तक डिप्रेशन में ही रहे। फिर उन्हें समझ आया कि आंसू बहाने से जिन्दगी नहीं चलने वाली और रो-रोकर अपनी जिन्दगी गुजार देने में भलाई नहीं है। उन्होंने तय कर लिया कि अब वे अपनी जिन्दगी यूं ही बर्बाद नहीं करेंगे। वे खुद को इस कष्ट से बाहर निकालेंगे और जीवन में मिले अनुभवों से दूसरों के भी दुख दूर करेंगे।
तभी उनके मन में फूड टेक का आइडिया आया। ये एक ऑनलाइन बिजनेस है, जो ग्रामीण तकनीक के साथ जुड़ा हुआ है। यह बिजनेस असम में चल रहा है और इसकी ब्रांच सब जगह हैं। खासतौर से ये बिजनेस किसानों के बहुत फायदे का है। उन्होंने एक मोबाइल ऐप गांव का खाना डवलप किया। इसका मकसद था कि जो लोगों को चाहिए आसानी से मिल जाए। इस ऐप के उन्होंने सात सेगमेंट बनाए।
1- गांव का खाना “पारंपरिक अंदाज”- इस सेगमेंट में असम के ग्राहकों को वहां की परंपरा के अनुसार खाना सर्व किया जाता है।
2- गांव का खाना “पार्टी अंदाज”- इसमें लोग पार्टी वगैराह के लिए वेस्टर्न कल्चर के फूड ऑर्डर कर सकते हैं।
3- गांव का खाना “प्राकृतिक अंदाज” – इसमें ग्राहकों को ऑर्गेनिक रूप से उगाई हुई सब्जियों को ऑर्डर करने का ऑप्शन रहेगा। इस बिजनेस में सीधे किसानों से कॉन्टेक्ट किया जाता है और उनके पास से ही सब्जियां ग्राहकों तक पहुंचाई जाती हैं।
4- गांव का खाना “मंदिता”- ये उनकी मां के नाम पर बेस है। यहां दूसरे तरह के फूड आइटम्स को शामिल करने की योजना भी है।
5- गांव का खाना “ट्रिवियल अंदाज”- यह असम के स्थानीय पयर्टकों के लिए है।
6- गांव का खाना “अकोमडेशन अंदाज”- इसमें कोई भी असम के होटल्स में बुकिंग करा सकता है।
7- गांव का खाना “रिलेशनशिप मोड”- इसमें कपल्स होटल बुकिंग करा सकते हैं।
इतना ही नहीं इसके अलावा गांव का खाना ने कृषि विकास योजना भी शुरू की है, जिसके तहत किसानों को गांव का खाना में रजिस्टर कराना होता है और उन्हें एक कार्ड दिया जाता है। जब ग्राहकों का ऑर्डर आता है तो किसान से ऑर्गेनिक सब्जी या कोई नेचुरल फूड उनसे लेकर ग्राहकों को डिलीवर किया जाता है। इस कार्ड की कीमत केवल एक रूपए महीने है। इसका नाम फ्रेश फ्रॉम लैंड है। किसान जो बार-बार गांव से शहर नहीं जा पाते, वे गांव का खाने से सब्जियां भेज देते हैं। ऐसा करते हुए हिरण्मय आगे चलकर 3000 किसानों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य रखते हैं।
आपको बता दें कि हिरण्मय ने अपना बिजनेस 2016 में केवल दस रूपए से शुरू किया था। तब उनके पास बस एक गैस सिलेंडर और एक स्टोव था। उनके गांव सिवसागर से रोज डिलीवरी के लिए शहर जाना बहुत मुश्किल था, लेकिन उन्होंने हर मुश्किल को आसान बनाया और अपनी मंजिल पा ली। हिरण्मय गोगोई को छठे छोटे और उभरते बिजनेस 2017 में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है।