सफलता के विराट सूत्र
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विराट कोहली इन दिनों जिस फॉर्म में नजर आ रहे हैं उसे देखकर लगता है कि उन्हें रोक पाना किसी भी विरोधी टीम के लिए आसान नहीं है। विरोधी गेंदबाज और टीम की हर रणनीति पर कोहली का बल्ला भारी पड़ रहा है और पूरी दुनिया उनकी इस बल्लेबाजी की दीवानी हो गई है। विराट कोहली की तारीफ पूरी दुनिया कर रही है। क्रिकेट की नई रन मशीन बन चुके कोहली इंडियन प्रीमियर लीग के मौजूदा सीजन में सचिन तेंदुलकर, क्रिस गेल, सुरेश रैना जैसे दिग्गजों का रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं। दुनिया भर में विराट की जितनी तारीफ हो रही है उससे भी ज्यादा लोग हैरान हैं विराट की सफलता को देखकर। विराट की तरह आप भी अपने जीवन में सफलताओं को छू सकते हैं बस जरुरत है विराट से सीख लेने की। तो आइए जानते हैं क्या है विराट की सफलता का राज…
अक्रामक हो लेकिन सकारात्मकता के साथ
एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान विराट ने कहा था कि मेरी सफलता के पीछे मेरे आक्रामक होने का बड़ा हाथ है और मैं अपने खेल से इस सोच को कभी भी अलग नहीं कर सकता। मेरा मानना है कि हर खिलाड़ी को मैदान पर आक्रामक होना चाहिए लेकिन यह सकारात्मकता के साथ होना चाहिए। विराट की ये बात हमें सिखाती है कि अक्रामक होना बुरा नहीं है बशर्ते अक्रामक सकारात्मकता के साथ या सकारात्मकता के लिए हुआ जाए।
विनम्रता
मैदान में विराट विरोधी टीम के लिए जितने ज्यादा अक्रामक होते हैं उतने ही ज्यादा विनम्र वे अपनी टीम के लिए होते हैं। अपनी टीम के किसी भी सदस्य के साथ अक्रामक होने की खबरें विराट के बारे में आज तक नहीं आई हैं। विनम्रता विराट का ऐसा गुण है जो उनकी सफलता के राज में से एक है। युवाओं को भी विनम्रता के साथ कठिन परिस्थितियों से जूझना आना चाहिए। तभी सफलता का रास्ता आपके लिए खुल सकेगा।
खेल के प्रति ईमानदारी
विराट शुरू से ही खेल के प्रति ईमानदार रहे हैं। उनकी इस ईमानदारी का पता इस बात से ही चलता है कि उनके पिता की मृत्यु के दिन वे कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्राफी मैच में दिल्ली के लिए खेल रहे थे। विराट का मानना है कि अगर आप अपने पेशे के प्रति ईमानदार नहीं हैं तो आप गलत हैं। इस बात से हमें सीख मिलती है कि हमें भी अपने काम के प्रति ईमानदार व जुनूनी होना चाहिए। ये जुनून ही एक दिन हमारी सफलता का कारण बनेगा।
जरुरत पड़ने पर कला को हथियार बनाना
विराट का बल्ला उनके लिए सिर्फ एक खिलौना नहीं है। उनका मानना है कि बल्ले ने ही उन्हें सब कुछ दिया है। इससे वो फील्ड पर जो चाहे वो करते हैं। ये उनके लिए किसी हथियार जैसा है जिसका जरुरत पड़ने पर वे भरपूर उपयोग करते हैं।
नकारात्मकता पर ध्यान न देना
विराट ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि ’’जब मैं टीम में आया था तो मेरे शरीर पर बने टैटुओं और पहनावे को लेकर तमाम बयानबाजियां होती थीं। यह पारंपरिक क्रिकेटरों की वेशभूषा से एकदम अलग था लेकिन मुझे लगता है कि यह गलत है। किसी भी खिलाड़ी का आकलन उसके मैदान पर किए गए प्रदर्शन के आधार पर किया जाना चाहिए न कि उसके निजी जीवन के आधार पर।’’ विराट ने लोगों की नकारात्मक बातों का असर खुद पर नहीं होने दिया और लगातार खेल में बेहतर प्रदर्शन किया और आज उनकी सफलता से सभी वाकिफ हैं।
कर्म करो फल की चिंता मत करो
विराट अपने खेल को काफी गंभीरता से लेते हैं। वे बस खेलते जाते हैं। रिकॉर्ड की चिंता वे नहीं करते हैं। उनका मानना है कि बस खेल के प्रति गंभीर रहो रिकॉर्ड तो अपने आप ही बन जाते हैं। विराट की ये बात हमें सिखाती है कि हमें अपने काम के प्रति गंभीर रहना चाहिए। यदि हम अपने काम के प्रति गंभीर रहे तो सफलता निश्चित ही हमारे कदम चूमेगी।
खुद से प्रतिस्पर्धा
विराट ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि ’’मैं हर दिन जो खेल खेलता हूं मैं उसमें रोज बेहतर होना चाहता हूं। मैं हर रोज खुद से ही प्रतिस्पर्धा करता हूं। मैं ये चाहता हूं कि आज मैंने जैसा प्रदर्शन किया है उससे बेहतर प्रदर्शन मैं कल कर सकूं।
बड़ों का सम्मान
हाल ही में जब विराट की तुलना सचिन से की गई तो विराट ने इसे शर्मनाक करार दिया। विराट का मानना है कि ’’सचिन की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वे एक अलग क्षमता वाले व्यक्ति हैं। विराट की ये सोच बताती है कि वे अपने सीनियर्स और बड़ों को कितना आदर करते हैं जो कि उन्हें आगे बढ़ने में मदद करता है।
अहं से दूर रहना
जब विराट की तुलना सचिन से की गई तब विराट ने खुद पर जरा भी घमंड नहीं किया। उनका कहना था कि ’’मैं जब अपने खेल को मजबूत कर रहा था तब सचिन सब कुछ अचीव कर चुके थे। मैं सिर्फ 2 सालों से बेहतर खेल पा रहा हूं जबकि उन्होंने 24 सालों तक देश की सेवा की है। मैं उन्हें अपना आदर्श मानता हूं’’ उनकी ये बात हमें सिखाती है कि हमें किसी भी परिस्थिति में घमंड नहीं करना चाहिए और अपने काम को ईमानदारी और गंभीरता से करना चाहिए।
मन में सिर्फ लक्ष्य
विराट का कहना है कि ’’हमें काम के वक्त अपने दिमाग को बिल्कुल खाली और फ्रैश रखना चाहिए ताकि हम उसमें अपने लक्ष्य को फिट कर सकें। मैं भी खेल के वक्त ऐसा ही करता हूं और जैसे ही ध्यान भटकता है मैं आउट हो जाता हूं।’’ उनकी ये बात हमें सिखाती है कि हमें हमारे मन में भी केवल अपने लक्ष्य को ही रखना चाहिए।
सेहत है तो सब है
विराट की सफलता का राज कहीं न कहीं उनकी फिटनेस भी है। विराट डाइट शब्द पर विश्वास नहीं करते हैं। वो खाने में घर की बनी हर चीज खाते हैं। जंक फूड से वे दूर रहते हैं और ज्यादा से ज्यादा पानी पीते हैं। वे अपनी फिटनेस को लेकर काफी फिक्रमंद हैं और इसके लिए जिम में घंटों वर्कआउट भी करते हैं। उनका मानना है कि ’’सेहत है तो सब है।’’
कोहली के बारे में दिग्गजों की राय
आरसीबी के ऑलराउंडर शेन वॉटसन ने जब रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु के कप्तान विराट की फॉर्म के बारे में पूछा गया था तो उनका जवाब था कि ’’कोई भी इस तरह नहीं खेल सकता है जैसा कि विराट खेलते हैं।’’
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज एरन फिंच ने कोहली की बल्लेबाजी की तारीफ करते हुए कहा था कि ’’कोहली इस तरह की बल्लेबाजी करते हुए बाकी बल्लेबाजों को शर्मिंदा कर रहे हैं।’’
’’विराट कोहली इंसानों की तरह नहीं बल्कि मशीन की तरह खेलते हैं।’’ यह बात पिछले दिनों ऑस्ट्रेलियाई मूल के राइजिंग पुणे में स्पिनर एडम जेम्पा के मुंह से निकली थी।
विराट की तारीफ करते हुए टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने कहा था कि ’’विराट का लेवल मैच कर पाना किसी के लिए भी नामुमकिन सा है।’’
धोनी ने भी विराट की तारीफ करते हुए कहा था कि ’’धैर्यवान विराट को अपनी अक्रामकता नहीं छोड़नी चाहिए। स्वाभाविक अक्रामकता और धीरे-धीरे विकसित धैर्य का संयोजन कोहली के लिए शानदार काम कर रहा है।’’
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