इस साल पतंगबाजी के शौकिन नहीं काट पाएंगे किसी की पतंग
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शनिवार को देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। इस त्योहार की ख़ास बात यह है कि इस दिन छोटे-बड़े ख़ासकर युवा पतंगबाजी करते हैं। पतंगबाजी के दौरान एक-दूसरे को चुनौती देने के लिए वह एक-दूसरे की पतंग काटते हैं। लेकिन इस बार उनके लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं होगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शीशे और धातु से बने ‘मांझे’ को लेकर एनजीटी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि, ‘पतंग उड़ाने के लिए शीशे और धातु से बने मांझे बहुत बुरे हैं। याचिकाकर्ता इस मामले को लेकर एक बार फिर एनजीटी के पास ही जाएं। इस मसले पर अंतरिम स्टे दिया है इसलिए सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करेगा।’ बता दें कि मांझे के इस्तेमाल पर PETA (पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल) ने रोक लगा दी थी। PETA के इस फ़ैसले को गुजरात के कुछ व्यावसायियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और मांझे पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी। बहरहाल, अब मांझा देश में भी नहीं बिक पा रहा है।
NGT ने क्यों लगाई थी मांझा पर रोक?
देशभर में मांझा पर रोक लगाने के पीछे एनजीटी (राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण) की पीठ ने कहा था कि, कांच लेपित पतंग की डोर न केवल पक्षी, जानवर और मनुष्य के लिए खतरनाक हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। बता दें कि एनजीटी ने सितम्बर 2016 को मांझा और इसी तरह की अन्य खतरनाक पतंग की डोर की खरीदी, बिक्री एवं इस्तेमाल पर अंतरिम रोक लगाई थी।