Monday, August 28th, 2017
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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: कहा- तीन तलाक है असंवैधानिक




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आखिरकर वह दिन आ गया जब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को लेकर अपना अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया है । 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इसे 3-2 से खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान जहां तीन जजों ने इसे असंवैधानिक बताया है वहीं दो जजों ने कहा है कि तीन तलाक आर्टिकल 14,15 और 21 का उल्लंघन नहीं है, इसे असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता।

बहरहाल , तीन तलाक के इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने सुनवाई करते हुए छह महीने की रोक लगा दी है। साथ ही जस्टिस ने कहा है कि इस छह महीने के बीच सरकार तीन तलाक पर जल्द से जल्द कानून बनाए। कोर्ट के इस फैसले के बाद अगर छह महीने के बीच कोई मुस्लिम पुरूष अगर अपनी पत्नी को तलाक -तलाक -तलाक कहेंगे तो इसे अवैध माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए याचिकाकर्ता शायरा बानो ने कहा है कि इस जजमेंट को स्वीकार किया जाए और जल्द ही नया कानून बनाया जाए। बता दें कि मार्च 2016 में शायरा बानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक , हलाला निकाह, बहु विवाह जैसे मुद्दों को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी।

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम महिलाएं खुशी मनाती हुई

 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद वकील सैफ महमूद ने कहा- जस्टिस कुरियन ने कहा है कि तीन तलाक इस्लाम का अहम हिस्सा नहीं है। बता दें कि 11 मई से सुप्रीम मई से सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक का मुद्दा उठा था, जिसकी सुनवाई 18 मई को खत्म हुई थी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में साफ कह दिया था कि वे तलाक की प्रथा को वैध नहीं माानती और इसे जारी रखने के पक्ष में तो बिल्कुल भी नहीं है। इस पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि तीन तलाक की प्रथा पिछले 1400 साल से जारी है। जब राम जन्म होना आस्था का विषय हो सकता है, तो तीन तलाक पर इतना बवाल क्यों। वहीं मुकुल राहेतगी ने कहा था कि जब सउदी अरब, ईरान, इराक , मिश्र , लीबिया और सूडान जैसे देशों में तीन तलाक खत्म हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं।

एआईएमपीएलबी रहा है विरोध में

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) का कहना है कि तीन तलाक मुस्लिमों की आस्था का मुद्दा है। एआईएमपीएलबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तीन तलाक एक ‘गुनाह और आपत्तिजनक’ प्रथा है, फिर भी इसे जायज ठहराया गया है और इसके दुरुपयोग के खिलाफ समुदाय को जागरूक करने का प्रयास जारी है।

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