संसद में गरजी सुषमा, हिंदुस्तान के बेटे को बचाने के लिए हर रास्ता अपनाएंगे
भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में सजा-ए-मौत देने का ऐलान किया गया है। वहीं भारत भी इस बात को लेकर काफी चिंता में है। कुलभूषण जाधव को लेकर संसद में भी चर्चा हुई, जिसका जवाब देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि वे ‘हिंदुस्तान के बेटे को बचाने के लिए हर रास्ता अपनाएंगे।’
सुषमा स्वराज ने गुलाम नबी आजाद के प्रश्न का उत्तर देते हुए संसद में कहा कि ‘‘ये विषय पूरे भारत का है, इस पूरे केस में उन्हें बचाने के लिए जो भी करना पड़ेगा वो भारत करेगा। आपको बता दूं कि जिस दिन से ये घटना घटी है तब से मैं लगातार उनके परिजनों के संपर्क में हूं। वो सिर्फ अपने माता-पिता का बेटा नहीं अब वो पूरे हिंदुस्तान का बेटा है और हिंदुस्तान के बेटे को बचाने के लिए आउट ऑफ द वे जाकर भी कुछ करना पड़े तो वे मैं करूंगी।’’
राजनाथ सिंह ने भी दिलाया भरोसा
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि पाकिस्तान ने कानून की अनदेखी कर जाधव को फांसी की सजा सुनाई है। उन्होंने पाकिस्तान के इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जाधव को बचाने और न्याय दिलाने के लिए सरकार हर संभव कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि जाधव के पास वैध पासपोर्ट था और उसे ईरान से अगवा कर के लाया गया था।
आपको बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई है। जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने ईरान से जाधव का अपहरण किया था और इसके बाद जाधव पर भारतीय जासूस होने का झूठा आरोप लगाते हुए दावा किया था कि उसने 3 मार्च 2016 को जाधव को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था।
पाकिस्तान आर्मी एक्ट के तहत जाधव को मौत की सजा दिए जाने का आदेश दिया गया है। यही एक्ट आरोपी को अपने बचाव में अपील कोर्ट जाने का भी अधिकार देता है। ख़बरों से मिली जानकारी के मुताबिक जाधव पर केस मिलिट्री केस में चलाया गया था इसलिए इसकी अपील सिविल कोर्ट में नहीं होगी।
जिस पाकिस्तान ने बिना किसी सबूत के और समुचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना जाधव को मौत की सजा सुनाई है, वह क्या ईमानदारी से उन्हें अपना बचाव करने का कोई मौका देगा? जाधव को अपने लिए वकील मुकर्रर करने का भी हक नहीं मिला। पाकिस्तानी सेना भले यह दावा कर रही है कि कानूनी नियमों के मुताबिक जाधव को अपने बचाव के लिए एक अधिकारी उपलब्ध कराया गया, लेकिन सच यह है कि पाकिस्तान ने जाधव के बुनियादी अधिकारों का भी सम्मान नहीं किया और उन्हें अपने कानूनी बचाव का मौका नहीं दिया गया। मालूम हो कि भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में कैदियों के मानवाधिकारों का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। आरोपी को अपने बचाव के लिए कानूनी सहायता उपलब्ध कराना इन्हीं आधारभूत अधिकारों में शामिल है।
राजनैतिक और कूटनीतिक दुष्प्रभाव झेल सकता है पाकिस्तान
जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने पर पाक मीडिया ने भी कहा है कि पाकिस्तान इस फैसले के कारण राजनैतिक एवं कुटनीतिक दुष्प्रभाव झेल सकता है। दक्षिणपंथी अंग्रेजी भाषी अखबार ‘द नेशन’ ने अपने पहले पन्ने पर ‘डेथ टू स्पाई स्पाइक्स टेंशन’ :जासूस की सजाए मौत बढ़ा रही है तनावः शीषर्क से अपनी प्रमुख खबर में टिप्पणी की कि ‘‘सोमवार को एक सैन्य अदालत ने दोनों परमाणु सम्पन्न देशों के बीच लंबे समय से जारी तनाव और बढ़ाते हुए हाई प्रोफाइल भारतीय जासूस को सजाए मौत सुनायी।’’ अखबार ने राजनीतिक एवं रक्षा विशेषज्ञ डॉ. हसन अस्करी के हवाले से लिखा कि जाधव को फांसी देने का फैसला ‘‘दोनों देशों के बीच तनाव में और इजाफा करेगा।’’ अस्करी ने कहा, ‘‘सेना ने सख्त सजा दी है जो पाकिस्तानी कानून के मुताबिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमें यह देखना होगा कि पाकिस्तान इसके राजनीतिक एवं कूटनीतिक दुष्प्रभावों को झेल सकता है या नहीं।’’
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