Monday, September 4th, 2017 15:30:08
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युवाओं के सिर चढ़ा ताज महोत्सव




Art & Culture
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आगरा । जैसे-जैसे दिन ढल रहा था, माहौल में गर्माहट भी बढ़ रही थी। कोई जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा सामान खरीद लेने की चाह में यहां से भाग रहा था, कोई बड़े झूलों के भरपूर मजे ले लेना चाहता था। एक कोने में काॅलेज से बंक मारकर आया लड़कियों का गु्रप तो दूसरे कोने में आॅफिस में तबियत खराब का बहाना बना इकट्ठे हुए दोस्त। ऐसे नजारे इन दस दिनों में खूब देखने को मिले। आयोजन था, ताज महोत्सव। जी हां, आगरा में हर साल की तरह इस बार के ताज महोत्सव ने जमकर रंग बिखेरा। देश के नामचीन कलाकारों ने अपनी कला के सहारे खूब तारीफें बटोरीं। वहीं देश-विदेश से आए सैलानियों ने इस रंगारंग उत्सव का लुत्फ उठाया। 18 मार्च से शुरू हुए इस महोत्सव का सोमवार 27 मार्च को समापन हो गया।
ताजमहल के आंगन कहे जाने वाले शिल्पग्राम में भव्य महोत्सव का आयोजन 26 सालों से होता आ रहा है। कभी एक उत्सव प्रेम का, तो कभी पैगाम-ए-मोहब्बत के नाम से हर साल संतरंगी चादर को ओढ़ते हुए महोत्सव इस साल विरासत की छांव के रुप में कला, साहित्य और संस्कृति के अनेक रंगों को बिखेरा। वैसे तो ताज महोत्सव की स्थाई तारीख 18 फरवरी से 27 फरवरी रहती है लेकिन इस वर्ष चुनाव के कारण यह उत्सव मार्च महीने की 18 तारीख से 27 तारीख तक आयोजित किया गया।
1992 से हुई शुरुआत
1992 से शुरु हुआ ताज महोत्सव आज भारतीयों का ही नहीं, बल्कि सैलानियों का भी प्रिय उत्सव है। हर साल यहां सैलानियों का तांता जुड़ता है। नई उमंग और तरंग के साथ शुरु हुआ महोत्सव का अब तक का सफर बड़ा ही रोचक रहा है। ताज महोत्सव की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े गजल गायक सुधीर नारायण ने उन दिनों की यादों को ताजा करते हुए बताया कि 1992 से शहर के सर्किट हाउस में हर साल शरद उत्सव हुआ करता था। हर साल वहां ऐसा ही मेला लगाया जाता था, लेकिन ताज के लिए पहचाने जाने वाले आगरा को एक ऐसे महोत्सव की जरूरत थी, जिसमें उन्हें भारतीय लोक कला, संस्कृति, संगीत और विभिन्न व्यजनों का स्वाद मिल सके। कुछ इसी सोच के साथ एक प्रयास किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आगरा को हम सब की संस्कृति के उत्सव के रूप में ताजमहोत्सव का तोहफा मिला।
20 वीं सदी से शुरु हुआ ग्लैमराइजेशन
शुरुआती दौर में महोत्सव गांव में लगने वाले मेंलों की तरह ही दिखता था। दुकानें टेंट से सजाई जाती थीं, यहां तक की मंच भी तख्त का बना हुआ होता था। सुधीर नारायण ने बताया कि 20 वीं सदी की शुरुआत में कमिश्नर सुशील चन्द्र त्रिपाठी ने महोत्सव के ग्लैमराइजेशन पर जोर दिया और फिर शुरु हुआ मेले को रोचक और आकर्षक बनाने का दौर, जिसमें महोत्सव को नई और रोचक थीम दी गई। प्रस्तुतियों में नया पन लाया गया, रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ नए नए करतब और हास्य व्यंग कलाकारों को भी स्थान दिया गया।
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युवाओं के लिए राॅक म्यूजिक है खास
यूं तो ताज महोत्सव हर कलाकार के लिए बहुत अहमियत रखता है। भारतीय संस्कृति के साथ-साथ यहां विदेशी राॅक बैंड आदि को भी भरपूर सराहना मिली है। इस उत्सव नेे  कला साहित्य और संस्कृति को एक रंगीले अंदाज में जोड़ा है। इस उत्सव में जहां एक ओर भारतीय संगीत ने लोगों को मदमस्त किया वहीं दूसरी ओर राॅक म्यूजिक में रूचि रखने वाले युवा भी मस्ती में झूमते नजर आए। सुधीर नारायण बताते हैं कि ताज महोत्सव को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान देने के लिए समिति ने कुद खास लोगों को उत्सव में बुलाने का प्रस्ताव रखा। उस दौरान ही बाॅलीवुड सिंगर और परफाॅर्मर इला अरूण को मुक्ताकाशीय मंच पर प्रस्तुति के लिए बुलाया गया। उस कार्यक्रम की सफलता के बाद ताजमहोत्सव को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के लिए नई-नई प्लानिंग की गईं। एक विदेशी बैंड ने मंच पर प्रस्तुति दी और इस सिलसिले की कड़ी में भारत रत्न प्राप्त कलाकारों ने भी मंच पर अपनी आवाज का जादू बिखेरा। तब से अब तक उत्सव के दस दिनों में युवाओं की पसंद के अनुसार शाम 6 से 8 बजे तक संगीत से शाम भी सजती है।
युवाओं में प्रतिभा दिखाने की रहती होड़ 
ताजमहोत्सव में इस बार भी बाॅलीवुड कलाकारों ने जमकर धमाल मचाया। गायक अरिजीत सिंह, मीका, बादशाह, और हनी सिंह आदि के साथ युवाओं ने खूब ठुमके लगाए। कोई उनके साथ नाचने को स्टेज पर चढ़ गया तो कोई खुद माइक पकड़कर मस्ती में सेलेब्रिटी के साथ झूमने लगा। संगीत के अतिरिक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भजन गायक अनूप जलोटा ने कृष्ण भक्ति के सुर छेड़े, जिसमें आगरा की युवा छात्राओं ने अपने सितार से ताल मिलाई। उत्सव के दौरान नटरांजलि थियेटर आर्ट्स के छात्र-छात्राओं कीे ओर से विप्र सुदामा’ का ’भगत शैली और आगरा बुक क्लब की ओर से अंगेजी नाटक द इम्पोर्टेंस ऑफ बींग अर्नेस्ट का मंचन किया गया।
लेखक
वर्षा पंवार

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