भारत से नेपाल के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले पहले जत्थे को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर रवाना कर दिया है। 12 जून से शुरू होकर 8 सितंबर तक चलने वाली इस यात्रा में करीब 4 हजार लोगों ने आवेदन किया है। इनमें से पहले जत्थे के लिए लॉटरी के जरिए 60 लोगों का चयन किया गया है। सुषमा स्वराज ने यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों से रास्ते को दूषित नहीं किए जाने की अपील की है।
जानिए भारत के लिए क्यों खास है मानसरोवर यात्रा-
– कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है और हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। कैलाश मानसरोवर बौद्ध धर्म , जैन और हिंदुओं का आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है।
– हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है। कैलाश पर्वत को शक्तिपीठ भी कहते हैं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यहां देवी सती के शरीर का दायां हाथ गिरा था।
– कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप डेमचौक बौद्ध धर्मविलंबियों के लिए पूज्यनीय है। जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल अष्टपद है।
– मानसरोवर की यात्रा के लिए तीर्थयात्री दो अलग-अलग रास्तों से जा सकते हैं। एक रास्ता उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा होकर जाता है। वहीं दूसरा रास्ता नेपाल की राजधानी काठमांडू से होकर जाता है।
– जानकारी के अनुसार उत्तराखंड से जाने वाला रास्ता बहुत मुश्किल है क्योंकि यहां ज्यादातर पैदल चलकर ही यात्रा पूरी की जा सकती है।