पीरियड्स के दौरान महज 17 प्रतिशत महिलाएं ही इस्तेमाल करती हैं सैनेट्री नैपकिन
जहां आज महिलाएं अपनी सेहत और सुरक्षा के प्रति जागरूक हैं, वहीं आज ऐसी महिलाएं भी हैं, जो अपनी सेहत के प्रति बहुत लापरवाह हैं। खासतौर से गांवों की महिलाएं अपनी सेहत की ओर जरा भी ध्यान नहीं देतीं। आपको जानकर हैरत होगी कि आज भी मात्र 17 प्रतिशत महिलाएं ही सैनेट्री नैपकिन्स का इस्तेमाल करती हैं। ये खुलासा महाराष्ट्र में हुए एक सर्वे में हुआ है।
अब इस सर्वे के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और जिला स्कूलों में पढऩे वाली छात्राओं को सैनेट्री नैपकिन मुहैया कराने के लिए फडणवीस सरकार विशेष योजना शुरू कर रही है। अस्मिता योजना के तहत महिलाओं को माहावारी के दिनों में रियायती कीमतों पर सैनेट्री नैपकिन उपलब्ध कराएगी। इसके लिए सरकार ने वित्त वर्ष के करीब 25 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। इस पहल के बाद सरकार छोटे-छोटे गांवों में रहने वाली महिलाओं के लिए भी लागू करेगी।
कम से कम कीमत पर सैनेट्री नैपकिन मुहैया कराने के लिए सरकार कुछ कंपनियों का चयन भी करेगी। इन कंपनियों से गांव-गांव में करने वाले महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बहुत कम कीमत पर नैपकिन उपलब्ध कराएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि सरकार द्वारा चयनित कंपनियों से 10-12 रूपए में नैपकिन लेकर ये महिलाएं तीन से चार रूपए का मुनाफा लेकर कम कीमत पर नैपकिन्स उपलब्ध कराएंगी।
छात्राओं को मिलेगी रियायत-
महिला बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ने छात्राओं को 5 रूपए में नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए कहा है। नैपकिन देने के लिए सरकार जिला परिषद के स्कूलों में पढऩे वाली छात्राओं को अस्तिमा कार्ड देगी। इसके जरिए छात्राएं नैपकिन ले सकेंगी। ग्राम विकास एवं पंचायती विभाग के सचिव असीम गुप्ता का कहना है कि आज इस दौर में भी महिलाएं नैपकिन के इस्तेमाल से वंचित हैं। उममीद है कि सरकार की इस पहल से अब 50 प्रतिशत महिलाएं नैपकिन का इस्तेमाल कर पाएंगी।
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