19वीं शताब्दी खत्म हुई थी और साल 2000 चल रहा था। टी.वी. पर लोग डब्ल्यू डब्ल्यू ई की फाइट देखते थे। बच्चे से लेकर बड़ों तक सभी इस फाइट के फैन हुआ करते थे। इसकी मार-धाड़, फाइटर्स का स्टाइल सभी को खूब भाता था। डब्लयू डब्ल्यू ई की उस रिंग में लोग काफी फाइटर्स को जानते थे। अंडरटेकर, बटिस्टा, बिग शो, ट्रिपल एच जैसे फाइटर्स के नाम बच्चों की जुबान पर रटे रहते थे। उस समय फाइट की उस रिंग में किसी इंडियन फाइटर का दिखना मुश्किल था। लेकिन 7 अक्टूबर 2000 में एक ऐसे पहलवान ने रिंग में कदम रखा जिसने अंटरटेकर जैसे फाइटर को दस मिनट में धूल चटा दी। ये पहलवान था भारत का जायंट सिंह यानी द ग्रेट खली। जिसने पहली बार रिंग में कदम रखा और फेमस हो गया। द ग्रेट खली के सक्सेस होने की स्टोरी इतनी आसान नहीं है। 27 अगस्त को उनके जन्मदिन पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी जिंदगी और उनकी सक्सेस स्टोरी से जुड़ी कुछ खास बातें….
बीमारी ने बनाया खली
खली का जन्म हिमाचल के सिरमौर जिले में हुआ था। वो राजपूत परिवार के बेटे थे। उनका असली नाम दिलीप सिंह राणा है। खली के छह भाई-बहन थे जिनमें वो सबसे अलग थे। उन्हें बचपन से ही बीमारी थी जिसकी वजह से वो सबसे असामान्य तथा बड़े दिखते थे। उनकी यही बीमारी आगे चलकर उनकी ताकत बनी।
पढ़ाई छोड़ की मजदूरी
इंटरनेशनल लेवल पर फाइटर बनने वाले खली पढ़े-लिखे नहीं हैं। उन्हें अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए अपने भाईयों के साथ मजदूरी करने जाना पड़ता था। उनके भारी-भरकम शरीर के कारण उस समय उनके लिए भारी वजन उठाना कोई बड़ी बात नहीं थी।
साइज के जूत नहीं मिलते थे
खली का शरीर काफी भारी-भरकम था, जिसके कारण उनके नाप के जूते मार्केट में नहीं मिलते थे। वे दूसरे गांव के किसी मोची से अपने नाप के जूते-चप्पल बनवाते थे। उन दिनों जब भी वे बाहर निकलते थे तो लोग उन्हें घूरते थे और मज़ाक उड़ाते थे और आज वही लोग उन्हें देखने के लिए लाइन लगाते हैं।
मिली पुलिस में नौकरी
उन्हें मजदूरी करते हुए कई साल हो चुके थे तभी एक दिन जब वे पत्थर तोड़ रहे थे, एक पुलिस ऑफिसर एन.एस. भूल्लर ने उन्हें पंजाब पुलिस में ज्वॉइन होने का ऑफर दिया। इसके बाद उन्होंने पुलिस ज्वॉइन की और वहीं उन्हें बॉडी बिल्डिंग का शौक लगा।
प्रो रेसलिंग में फाइट बनी सपना
खली ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘‘वर्ष 1995 में मैंने चार हज़ार में अपना पहला टीवी ख़रीद कर जब डब्लूडब्लूएफ़ कुश्ती देखी तो मुझे लगा ये कोई फ़िल्म है। दो दिन बाद असलियत पता चली।’’ इसके बाद उन्होंने उस रिंग की फाइट को अपना सपना बना लिया। इस फाइट के लिए उन्होंने काफी मेहनत और तैयारी की।
पैसों की कमी पर नहीं हारी हिम्मत
खली को प्रो रेसलिंग में लड़ने के लिए अमेरिका जाकर ट्रेनिंग लेना था। जिसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी लेकिन वे कुछ भी करके इस ट्रेनिंग के लिए पैसे नहीं जुटा पाए। लेकिन जिद्दी खली ने अपनी इस मजबूरी के आगे हार न मानी, उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी इकट्ठी की जो 40,000 रूपए थी और निकल पड़े अमेरिका में लड़ने के लिए।
जमीन पर सोकर काटी रातें
अपनी जमा पूंजी इकट्ठी कर जब खली सेन फ्रांसिस्को पहुंचे तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उनके पास पैसे कम थे और उन्हें अमेरिकी ट्रेनिंग लेनी थी इसलिए उन्होंने जमीन पर सोकर भी कई रातें बिताईं। आखिर में उन्हें जापान और मैक्सिको जाकर फाइट करने का मौका मिला जहां वे ‘जायंट सिंह’ के नाम से मशहूर हुए।
अंडरटेकर को कई बार दी पटकनी
खली के आने से पहले अंडरटेकर रेसलिंग रिंग का जाना-माना नाम था लेकिन खली ने उसे कई बार पटकनी दी। इंडिया के लोग खली और अंडरटेकर की फाइट का बेसब्री से इंतजार करते थे। खली ने सबसे पहले 7 अप्रैल 2006 में अंडरटेकर को हराया था।
पीछे मुड़कर नहीं देखा
खली ने रेसलिंग रिंग में उतरने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी लोकप्रियता को देखकर कई हॉलीवुड फिल्मों में उन्हें काम मिला। वे बॉलीवुड की फिल्मों और रियालिटी शो में भी नजर आए। हाल ही में खली ने आम आदमी पार्टी भी ज्वॉइन की है और वे राजनीति के मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।