विश्व बाघ दिवस आज : सौ साल पहले लाखों में थे बाघ, आज केवल तीन हजार के आसपास है इनकी तादाद
आज वल्र्ड टाइगर डे है। भारत में बाघों की तादाद में लगातार कमी आ रही है। जो कि देश के लिए चिंता का विषय है, जहां का राष्ट्रीय पशु ही बाघ को माना गया है। अगर बाघों की कम होती तादाद के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले कुछ सालों में भारत में बाघों की संखया लगातार कम हो रही है। बेहद तेजी से भारत में विलुप्त होने की कगार पर खड़े बाघों के बचाव के लिए समय-समय पर सरकारों द्वारा कदम तो उठाए जते रहे , लेकिन इसके बावजूद भी इनकी संखया नहीं बढ़ी है।
अगर इस साल मरने वाले बाघों की संखया पर गौर किया जाए तो जो आंकड़े सामने आए हैं, वो बेहद खराब हैं। इस साल अब तक 70 से ज्यादा बाघ मर चुके हैं। जिनमें 21 से ज्यादा बाघों को तस्करों द्वारा रही मारा गया है। इस लिहाज से हर महीने दस बाघों की मौत हुई। आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व के 80 प्रतिशत टाइगर भारत में पाए जाते हैं। आज से सौ साल पहले जहां इन बाघों की संखया लाखों में थी, लेकिन आज ये टाइगर घटकर महज तीन हजार के आसपास ही रह गए हैं। इन बचे हुए बाघों में से 80 फीसदी भारत में ही हैं।
मध्यप्रदेश की स्थिति गंभीर-
मध्यप्रदेश में सात माह में बीस बाघों की मौत को लेकर केंद्र सरकार भी परेशान है। यहां बाघों की स्थिति को देखकर हर कोई हैरान है। कयोंकि कभी जिस मध्यप्रदेश की पहचान ही बाघ थे, आज उसी प्रदेश में बाघ अपनी पहचान खोता जा रहा है। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा वापस मिलने की राह मिलना काफी मुश्किल हो गई है।
दुनिया में अप्रैल 2016 में बाघों की तादाद 3890
इस साल जंगलों से एक खुशखबरी आई है। पिछले सौ साल में पहली बार दुनियाभर में बाघों की तादाद में उछाल नजर आ रहा है। 2010 में दुनियाभर में 3200 बाघ थे, जिनकी गिनती अप्रैल 2016 में 3890 पाई गई। बाघों की आबादी बढऩे की कई वजह हैं। लेकिन जो सबसे बड़ी वजह है वो ये कि अब स्थानीय लोग इन जानवरों के साथ रहने की आदत डाल रहे हैं। यही वजह है कि अब बाघों की संखया में बढ़ोतरी होने की संभावना दिखाई देने लगी है।
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