हिंदी नहीं जानते यहां के लोग फिर भी हैं अमिताभ और शाहरूख के दीवाने
किसी फिल्म में सुना था कि जहां रिश्ते दिल से जुड़े हो वहां बिना बोले भी सबकुछ समझ में आ जाता है। इस बात को समझना बहुत ही उपर के लेवल का खेल नहीं है क्योंकि ये बात शत-प्रतिशत सच है। यकीन नहीं आता न तो अर्मेनिया के लोगों को देख लीजिए। यहां लोग हिंदी नहीं जानते फिर भी बॉलीवुड के एक्टर्स के दीवाने हैं।
हिंदुस्तान से कोसो दूर एक देश हैं अर्मेनिया जहां हिंदी का बोलबाला नहीं है, वहां लोग हिंदी नहीं जानते लेकिन वहां भी लोग हिंदी फिल्मों के दीवाने हैं। वे बॉलीवुड के गीत अपनी मस्ती में गाते हैं। सात समंदर पार अर्मेनिया में भी रूमानियत के बादशाह शाहरूख खान से लेकर बालीवुड के एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन का जलवा बरकरार है और लोगों खासकर युवा दिलों में इनकी लोकप्रियता हैरान करने वाली है।
यह देखना काफी सुखद है कि बालीवुड फिल्मों ने देश से बाहर अर्मीनिया जैसे छोटे से देश में भी अपना प्रभाव जमाया है। विदेशी धरती पर भाषाई बाधाओं को पार करते हुए हिन्दी फिल्मी गीतों को काफी स्नेह मिला है । राजधानी येरेवान में बसों पर शाहरूख खान और दीपिका पदुकोण की ‘ओम शांति ओम’ का पोस्टर इसकी छोटी सी लेकिन प्रभावी मिसाल है। इस पोस्टर में भारतीय सांस्कृतिक एवं कारोबारी प्रदर्शनी के बारे में जानकारी भी है।
क्या है कारण
सवाल यह है कि बालीवुड के प्रति अर्मीनिया के लोगों के स्नेह का क्या कारण है ? जब आर्मीनियाई नवदंपत्ति गायेनी और नोर्याज इस्कंदरियान ने फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ देखी तो वे भारतीय पारिवारिक मूल्यों पर मुग्ध हो गए और इसके प्रतीक बने सुपरस्टार शाहरूख खान। बालीवुड की लोकप्रियता के बारे में पूछे जाने पर गायेनी ने कहा कि मुझे गीत पसंद आए खास तौर पर शावा शावा। इन्होंने भारतीय प्रदर्शनी के दौरान यह फिल्म देखी।
भावनात्मक रूप से जुड़ते लोग
फ्रीलांस दुभाषिया के रूप में काम करने वाले नोर्याज इस्कंदरियान ने कहा, शाहरूख जैसे अभिनेताओं में मैं एक ऐसे अभिनेता को देखता हूं जो मृदुभाषी हो, रोमांटिक हो और भावनात्मक पहलुओं को रेखांकित करने में जिसे कोई संकोच नहीं हो। भाषा के ज्ञान के अभाव में हालांकि फिल्म के विषय को समझने में कुछ कठिनाई होती है लेकिन इनके अभिनय से भाव जरूर स्पष्ट होते हैं। नोर्याज ने कहा, पिछले कुछ वर्षो से अर्मीनिया में भारतीय सांस्कृतिक महोत्सव नियमित रूप से आयोजित किया जाता है और बालीवुड से योजक कड़ी बन गई है।अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान जैसे अभिनेता वहां काफी लोकप्रिय हैं।
बसों पर दिखते हैं पोस्टर
येरेवान विश्वविद्यालय की छात्रा मिलेना ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले शाहरूख खान को देवदास में देखा। मैं न तो उनका नाम जानती थी और ऐसा भी नहीं था कि वे तब बेहद लोकप्रिय रहे हों। लेकिन जब मैंने उन्हें ‘ओम शांति ओम’ में देखा तो ऐसा लगा जैसे कि वे मेरा पहला प्यार हैं। नोर्याज ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में भारतीय सांस्कृतिक महोत्सव काफी लोकप्रिय हुआ है और यह कोटिमास स्ट्रीट में आयोजित किया जाता है। इसका स्वरूप अब व्यापक हो गया है। शाहरूख खान और दीपिका पादुकोण के पोस्टर बसों पर देखे जा सकते हैं।
अर्मीनिया की अंतरराष्ट्रीय कारोबारी परिषद की सदस्य मारिया मनुक्या ने कहा कि अर्मीनिया में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी भारतीय उत्पादों को प्रदर्शित करने और साथ ही भारतीय बाजार में प्रवेश करने का मौका प्रदान करती है। उल्लेखनीय है कि मालाबार तट पर पुर्तगाली यात्री वास्को डी गामा के आने से पहले अर्मीनियाई कारोबारी थामस काना दक्षिण पश्चिम तट पर पहुंचा था। लेकिन अर्मीनियाई लोगों का बसना 16वीं शताब्दी में शुरू हुआ। मुगलों के दौर में इनके लिए उपयुक्त कारोबारी माहौल बना और अर्मीनिया के लोगों का अकबर के दरबार में शानदार स्वागत किया गया। वे आगरा, दिल्ली, सूरत, लाहौर एवं अन्य शहरों में बस गए। ऐसा माना जाता है कि अकबर की एक रानी अर्मीनियाई थी ।
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