Monday, August 14th, 2017
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ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां की सेहत के लिए जरूरी हैं ये आहार




Health & Food

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ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। उन्हें भी जरूरी पोषण मिलना जरूरी होता है। मां का दूध बच्चे के लिए अमृत से कम नहीं होता। क्योंकि उसके शरीर को मिलने वाली सभी पोषक तत्व दूध के जरिए ही मिलते हैं। ऐसे में मां को अपने आहार का ध्यान रखने में जरा भी कोताही नहीं बरतनी चाहिए। न्यूट्रिशनिस्ट डॉ.ज्योत्सना श्रीवास्तव के अनुसार मां का दूध पीने वाले बच्चे के शरीर में फैट और प्रोटीन जैसे जरूरी पोष्टिक तत्वों को संग्रह करने के लिए मां का पोषण अहम रोल निभाता है।

इन बातों का रखें ध्यान-

– कब्ज से बचने के लिए खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं। गाजर, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां हरा पपीता, लौकी, कमल ककड़ी खाना आयरन लेवल को बढ़ाता है।
-हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, गोभी, और ब्रोकली आदि के सेवन से ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में मिलेगा। इसलिए नई मां के लिए इन आहारों को अपने भोजन में जरूर शामिल करें।
-बादाम-सूखे फल जैसे मेवे ब्रेस्ट में दूध की मात्रा को बढ़ाते हैं। साथ ही ये मेवे विटामिन, मिनरल और प्रोटीन से भी भरपूर होते हैं। इन्‍हें कच्‍चा खाने पर ज्यादा लाभ होगा।
-लहसुन खाना मां के लिए अच्छा होता है। इसे खाने से भी दूध बनाने की क्षमता बढ़ती है। लहसुन को कच्चा खाने की बजाए उसे मीट, करी, सब्‍जी या दाल में डाल कर पका कर खाएं।
-ब्राउन राइस, बीन्स, बीज, मूंगफली का मक्खन और सोया उत्पाद जैसे आहार नई मां के शरीर में प्रोटीन और कैल्शियम दोनों की कमी को दूर करते है। डेयरी उत्पादों अपने विशेष आहार में शामिल करें, जो प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत हैं ।
-ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को अपने आहार में विटामिन डी और विटामिन बी 12 की आवश्यक मात्रा जरूर लेगी चाहिए। वरना मां और बच्चे दोनों में सूखा रोग, हड्डी समस्याओं, हृदय रोग, मधुमेह एनीमिया, थकान  जैसी समस्या होने की संभावना रहती है। तुलसी, करेला और सोयाबीन आदि जैसे आहारों का सेवन करना फायदेमंद रहेगा।
– गाय का घी, बादाम और अखरोट खाने से शरीर में गुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है।
– गुड़ का छोटा टुकड़ा रोज खाएं।
– ज्यादातर लिक्विड चीजों का सेवन करने की कोशिश करें और पानी पीने की मात्रा को बढ़ाएं।

ब्रेस्टफीडिंग कराने में शहरों के मुकाबले गांवों की स्थिति ज्यादा बेहतर है। शहरों में महज 35 फीसदी महिलाएं ही स्तनपान करवाती हैं जबकि गांवों में यह 43 प्रतिशत है।

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