पनीरसेल्वम और शशिकला के भरोसे तमिलनाडु की सियासत, जानिए क्या हैं इनमें ख़ास
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तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता के निधन के बाद ओ पनीरसेल्वम (ओपीएस) और शशिकला नटराजन का नाम चर्चा में है। बताया जा रहा है कि राज्य की सियासत अब इन दोनों के भरोसे ही है। दोनों ही ऐसे नाम है जो अम्मा के बेहद करीबी माने जाते हैं। राजनीति में पनीरसेल्वम ने जहां अम्मा को खुलेतौर पर समर्थन दिया तो वहीं शशिकला पर्दे के पीछे से जया का साथ देती रही। जया के बाद शशिकला को राज्य की राजनीति में दूसरी सबसे दमदार महिला नेता माना जाता है। चलिए आपको बताते है कि पनीरसेल्वम और शशिकला कौन हैं, राजनीति में इनकी एंट्री कैसे हुई और किस तरह ये दोनों जया के करीबी बने।
चायवाले से नेता बने ओपीएस, अम्मा के थे सबसे विश्वासपात्र शख्स
-सोमवार रात 11.30 बजे अम्मा के निधन के बाद पन्नीरसेल्वम ने रातों रात तमिलनाडु के 19 वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। चायवाले से नेता बने ओ पनीरसेल्वम जयललिता के वफादार सहयोगी रहे हैं। जयललिता के बीमार होने के बाद पिछले ढाई महीनों से वही प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे थे।
-14 जनवरी 1951 को जन्मे ओ पनीरसेल्वम एक चाय की दुकान चलाते थे। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि ओपीए का एक ही सपना था। वह सिर्फ़ पेरियाकुलम नगरपालिका का चेयरमैन बनना चाहते थे।
-पनीरसेल्वम दक्षिण की थेवर जाति के हैं। अपनी जाति से वह पहले ऐसे शख्स हैं, जिसका राजनीति में इतना ऊंचा करियर है।
-वर्ष 1987 में जब सेल्वम के प्रिय नेता एमजी रामचंद्रन ने दुनिया को अलविदा कहा था उस वक्त अन्नाद्रमुक का विभाजन हुआ था। जिसके बाद तो वह जानकी रामचंद्रन के साथ हो गए। लेकिन जब उन्होंने देखा कि जयललिता मजबूत होकर उभर रही हैं तो वह उनके साथ हो गए।
-वर्ष 1996 में वह नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए थे। इस बार वह थेनी जिले की बोडनियाकन्नूर सीट से विधायक चुने गए हैं।
बताया जाता है कि पनीरसेल्वम जयललिता की तस्वीर को सामने रखकर कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता किया करते थे। कई बार सार्वजनिक रूप से जयललिता के लिए रोते हुए देखा गया। जयललिता के प्रति समर्पित पनीरसेल्वम को जल्द ही इसी चीज का तोहफा मिला।
जब साल 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने जया को भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट सजा सुनाई थी तो ओपीएस ही पहली बार (21 सितंबर 2001) तमिलनाडु के सीएम बने थे। उन्होंने 1 मार्च 2002 तक तक राज्य में सीएम की कुर्सी संभाली थी।
इसके बाद साल साल 2014 में कर्नाटक हाइकोर्ट ने जब जयललिता को सजा सुनाई तब जयललिता ने एक बार फिर पनीरसेल्वम पर विश्वास जताया। इस तरह वह दूसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। साल 2014 में उन्होंने तमिलनाडु के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वह 11 मई 2015 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे। उस वक्त ओपीएस के पास वित्त, योजना, संसदीय कार्य, चुनाव, पासपोर्ट और प्रशासनिक सुधार जैसे मंत्रालय थे।
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