सावन स्पेशल: इसलिए मनाई जाती है हरियाली तीज
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सावन महीने की शुकल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। सुहागन स्त्रियों के लिए ये व्रत बहुत मायने रखता है। इसका कारण ये है कि इसी दिन पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने का वरदान पाया था। भगवान शिव और देवी पार्वती ने इस तिथ को सुहाहन महिलाओं के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव आर देवी पार्वती का पूजन करती हैं, उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है। इस तीज को कुछ जगहों पर कज्जली तीज के नाम से भी जाना जाता है।
ये है हरियाली तीज की कथा-
माना जाता है कि एक बार देवी पार्वती अपनी पति भगवान शिव से दूर प्रेम विरह की गहरी पीड़ा से व्याकुल थीं। इस पीड़ा के कारण देवी पार्वती ने इस व्रत को किया था। पार्वतीजी इस दिन पति के प्रेम में इतनी लीन हो गई थीं कि उन्हें न खाने की याद रही और न ही पीने की। इस तरह वे पूरे 24 घंटे व्रत रहीं। और इसी व्रत के चलते उन्हें अपने पति का साथ फिर से मिल गया। तब से इन दिन स्त्रियां अपने सुहाग के लिए उपवास रखकर मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद मांगती हैं।
तीज से जुड़ी अन्य बातें-
– इसे सबसे पहले गिरीराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था। जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उनहें पति के रूप में मिले।
– पार्वती की सहेलियों के द्वारा पार्वती का हरण किए जाने के कारण इस व्रत का नाम हरतालिका पड़ा।
– हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया।
– पार्वती जी के कहने पर भगवान शिव ने वरदान दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी। आज चाहे इस त्योहार में कितना भी आधुनिक रंग मिल गया हो, लेकिन निष्ठा और इसे करने वालों की भक्ति में कहीं कोई कमी नहीं आई है।
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