नोटबंदी के बाद से संसद में हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष अपनी मांगों को लेकर जिद पर अड़ा हुआ है जिसके कारण सदन की कार्यवाही में रूकावट आ रही है। खैर ये सब तो राजनीति की बाते हैं हम आपको कुछ और ही बताने वाले है। संसद भवन को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है और इस मंदिर के बारे में हम आपको कुछ ख़ास बात बताने वाले हैं…
लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाला संसद भवन कई मायनों में ख़ास है। देश का सबसे बड़ा राजनीतिक भवन संसद काफी बड़ा है और दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। दिल्ली में यूं तो कई इमारते है लेकिन संसद भवन एक अलग ही छाप छोड़ता है। संसद भवन विश्व के किसी भी देश में विधमान वास्तुकला का उत्कृष्ठ नमूना है।
संसद भवन की नींव 12 फरवरी 1921 को डयूक ऑफ कनाट ने रखी थी। इसके बाद यह इमारत 6 सालों में बनकर तैयार हुई थी। संसद का वास्तु मशहूर वास्तुविद एडविन लुटियन ने कराया था। आपको शायद यकीन न हो लेकिन उस समय में इसे बनाने में कुल 83 लाख रूपए खर्च किए गए थे। इसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को भारत के तत्कालीन गर्वनर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था।
इस भवन में अद्भुत खंबे, गोलाकार बरामदे है अपने डिजाइन के चलते शुरू में इसे सर्कुलर हाउस भी कहा जाता था। लोग इसे दुनियाभर से देखने आते थे। लेकिन भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जो बिलकुल संसद की तरह दिखता है कहा जाता है कि लुटियन ने संसद को इसी मंदिर को देखकर बनाया था। अब ये बात कितनी सच है ये तो आप मंदिर देखकर ही जान पाएंगे।