डॉक्टर का बेटा डॉक्टर हो सकता है और इंजीनियर का बेटा भी एक इंजीनियर हो सकता है, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे परिवार के बारे में जहाँ पायलट का बेटा भी पायलट है, वो भी निरंतर तीन पीढ़ी से। और तो और बहु भी लाया तो पायलट! जी हाँ, यह असलियत है दिल्ली के एक परिवार की, जिसके सदस्य पिछले 100 वर्षों से विमान उड़ाने के पेशे (पायलट) में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
चमचमाती व्हाइट शर्ट-पेंट, ऊंची टोपी, फ़्लाइट बैग, कंधे पर चार पट्टियां और उड़ान भरने का जुनून। ये यूनिफॉर्म कोड़ भसीन परिवार की पहचान बन चुका है। दिल्ली के इस परिवार के 5 सदस्यों – माता-पिता, 2 बच्चों और स्वर्गीय दादा को कुल मिलकर 100 साल से विमान उड़ाने का प्रोफेशन निरंतर हासिल है। इस परिवार के दादा कैप्टन जय देव भसीन देश के उन 7 पायलटों में एक थे, जो 1954 में कमांडर बने थे।
बहू भी लाया तो पायलट
वहीं उनकी बहू निवेदिता जैन इंडियन एयरलाइंस से जुड़ने वाली देश की तीसरी महिला थी और अब निवेदिता और उनके पति कैप्टन रोहित भसीन के दोनों बच्चे रोहन और निहारिका भी युवा कमांडर हैं। 54 वर्षीय निवेदिता महज़ 20 साल की थी, जब उन्हें पायलट के तौर पर नियुक्ति पत्र मिला था। 26 साल की उम्र में उन्हें बोइंग 737 पर कमान मिली और वो दुनिया में जेट विमान की सबसे कम उम्र की महिला कैप्टन बनी।
परिवार की पोती निहारिका : माँ को देख जागी हसरत
मीडिया से बातचीत के दौरान 26 साल की निहारिका ने बताया कि जब मां काम पर जाने के लिए तैयार होती थी, तो मैं उन्हें निहारती थी। मैं भी एक दिन उसी ड्रेस में दिखना चाहती थी।
वहीं निहारिका के पिता रोहित भसीन के मुताबिक हम महीने में 5-6 दिन ही साथ गुज़ार पाते हैं। बच्चों को एक्स्ट्रा फ़्यूल रखने, खराब मौसम में लैंड न करने की भी नसीहत देते हैं। अभी तो भसीन परिवार के ये 5 मेंबर इस प्रोफेशन में हैं, आगे हो सकता है और भी मेंबर/भावी मेंबर ऊँची उड़ान भर कर इस संख्या में इज़ाफ़ा करें।