करें सड़क दुर्घटना में मदद, नहीं किया जायेगा परेशान
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हम अक्सर आए दिन सड़क दुर्घटना होते देखते है लेकिन उसे इस डर से नजर अंदाज कर देते है कि कही हम ही इसकी मदद करने में मुसीबत में न पड जाये। इसी वजह से हम चाह कर भी घायल व्यक्ति की मदद नहीं करते है लेकिन अब हमें डरने की जरूरत नहीं है। जी हां उच्चतम न्यायालय ने सड़क दुर्घटनाओं में मदद करने वाले नेक लोगों को बेवजह परेशान किए जाने से बचाने के लिए बुधवार को इस संदर्भ में केंद्र के दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी।
टीवी और अखबारों में होगा प्रचार
अदालत ने सरकार से कहा है कि वो टीवी और अख़बारों में इस नियम को लेकर ज्यादा से ज्यादा प्रचार किया जाये ताकि इसे देखकर लोगों में जागरूकता आए।
प्रशासन को रखना होगा इन नियमों का ध्यान…
- दुर्घटना के बाद पुलिस या एम्बुलेंस को बुलाने वाले से जबरन उसकी पहचान नहीं पूछी जाएगी।
- अगर वो पहचान बताए बिना जाना चाहे तो जाने दिया जाएगा।
- घायल को हॉस्पिटल पहुँचाने वाले शख्स को पहचान बताने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
- हॉस्पिटल घायल का तुरन्त इलाज शुरू करेंगे और पुलिस के आने तक उस शख्स को रुकने के लिए बाध्य नहीं करेंगे।
- अगर घायल की मदद करने वाला अपनी पहचान बताता है और जांच में मदद को तैयार है तब भी उसे कम से कम परेशान किया जाए।
पुलिस या कोर्ट उसका बयान एक ही बार में दर्ज करें। उसे बार-बार पेश होने को नहीं कहा जाएगा। - अगर वो शख्स बयान के लिए आने में असमर्थ हो तो उसे वीडियो कांफ्रेसिंग की सुविधा दी जाए या उसकी सुविधा की जगह पर जाकर बयान दर्ज किया जाए।
- इन गाइडलाइंस में घायलों के इलाज के लिए हॉस्पिटल की जवाबदेही भी तय की गई है।
- हॉस्पिटल पहुँचने वाले घायल का इलाज न करने वाला डॉक्टर प्रोफेशनल मिसकंडक्ट का दोषी माना जाएगा।
- हॉस्पिटल अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में बोर्ड लगाएंगे, जिसमें लिखा होगा कि सड़क दुर्घटना में घायल की मदद करने वालों को अस्पताल में परेशान नहीं किया जाएगा।
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