तोची ने 7 गुरुओं से ली थी 7 सुरों की शिक्षा
रे कबीरा मान जा, गल मिट्ठी-मिट्ठी बोल, गूंजा-सा है कोई इकतारा, साइबो, खलबली और आली रे जैसे हिट सॉन्ग्स देने वाले प्लेबैक सिंगर तोची रैना 2 सितंबर को अपनी ज़िंदगी के 45 साल पूरे कर लेंगे।
15 साल की उम्र में जब तोची 100 रुपए का नोट जेब में रखकर घर से निकले थे तब वे ये जानते थे कि एक न एक दिन वे जरुर अपने मुकाम पर पहुंचेंगे। सिंगर के तौर पर अपनी पहचान बनाने के लिए तोची रैना को काफी मशक़्कत करनी पड़ी और आज उनकी सफलता से हर कोई वाकिफ है।
रगों में दौड़ता था संगीत
तोची पटियाला से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म बिहार के दरभंगा में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई नेपाल से पूरी की जहां उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे। उनके परिवार के कई लोग संगीत से जुड़े हुए थे इस वजह से संगीत उनके खून में था। उनके पिता हारमोनियम बजाते थे, दादी सितार वादक थीं, उनके चाचा रतन सिंह वायलन बजाते थे। इसके अलावा तोची के भाई अरविंदर मलेशिया में म्यूजिक कंपोजर हैं और बहन हरमीत ने क्लासिकल म्यूजिक में पीएचडी की है। इस तरह बचपन से ही उन्होंने ये तय कर लिया था कि उन्हें अपना करियर संगीत में ही बनाना है।
खेलने में उम्र में हो गया था संगीत से प्यार
12 साल की उम्र में जब आमतौर पर बच्चे खेलना पसंद करते हैं तोची को संगीत से प्यार हो गया था। उनकी रुचि बचपन से ही मानव अस्तित्व की खोज में थी। इसी के चलते वे अपना कुछ समय श्मशान में बिताया करते थे। 15 साल की उम्र में वे अपना घर छोड़कर दिल्ली पहुंच गए। दिल्ली में उन्होंने कई उस्तादों से संगीत की शिक्षा ली। इनमें जाने-माने उस्ताद पंडित विनोद जी, उस्ताद भूरे खान साहब, उस्ताद नुसरत फतेह अली खान साहब, उस्ताद अल्ताफ हुसैन साहब, पंडित सीताराम जी, पंडित मनीप्रसाद जी और पंडित रामचरन चंद्र जी शामिल थे। उन्होंने पटियाला घराने से सूफी संगीत और शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली। इसके अलावा उन्होंने लगभग 10 साल तक उस्ताद बुंधु खान साहब और अब्दुल्ला जी से तबला बजाना भी सीखा।
इंडस्ट्री को समझने के बाद भरी उड़ान
तोची ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि ’’मैं पहली बार 1993 में गुरु उस्ताद भूरे खान से सीखने के लिए मुंबई आया था। इसके बाद में अपने घर पटियाला वापस चला गया था। इसके 10 साल बाद मैंने वापस मुंबई जाने का फैसला किया।’’ मुंबई में उन्होंने लगभग 5 साल तक बॉलीवुड के दिग्गजों के साथ मेल-जोल बढ़ाने में लगाए ताकि वे इंडस्ट्री को पहचान सकें। इसके लिए उन्होंने देव आनंद, सुनील दत्त, प्राण और महमूद जैसे बॉलीवुड दिग्गजों से कई बार मीटिंग की। वे इस इंडस्ट्री को समझने के बाद ही इसमें उड़ान भरना चाहते थे।
बैंड बनाना था सपना
संगीत के इस सफ़र के दौरान तोची ने हमेशा खुद का एक बैंड बनाने का सपना देखा। उनका ये सपना आखिरकार 1991 में पूरा हुआ। उन्होंने ’बैंड ऑफ बंदगी’ नाम का एक बैंड बनाया था। 2005 में उन्होंने सिंगर नीरू रावल और कंपोजर प्रशांत सतोसे को इसका को-फाउंडर बनाया। इस बैंड में उन्होंने अपनी बहन हरमीत को भी शामिल किया जिन्होंने संगीत में पीएचडी की है। तब से लेकर आज तक ये बैंड चल रहा है। हाल ही में बैंड ने फिल्म ’लव शगुन’ के लिए ’कलोल हो गया’ बनाया था।
निजी ज़िंदगी को नहीं करते उजागर
भले ही अपने नए गानों का वे कितना ही प्रमोशन क्यों न करते हों लेकिन अपनी निजी ज़िंदगी को वे निजी ही रखना पसंद करते हैं। न तो मीडिया में कभी उनकी डेटिंग की ख़बरें आईं और न ही उनकी शादी के बारे में किसी को पता चला। तोची ने गीतकार श्वेता रैना से शादी की है। श्वेता ’सोना सजन’ एलबम की गीतकार हैं। उनकी ज़िंदगी को निजी रखने के अंदाज के चलते आज तक उनकी पत्नी की एक भी फोटो इंटरनेट पर नहीं आ पाई। दोनों की एक बेटी ’साइबो’ भी है।
’साइबो’ से है ख़ास लगाव
तोची को ’शोर इन द सिटी’ फिल्म के गाने ’साइबो’ से काफी लगाव है। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। एक अंग्रेजी अख़बार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ’’मेरी मां का नाम भी साहिब था और मेरी बेटी का जन्म भी उसी रात को हुआ था जिस रात मैंने ’शोर इन द सिटी’ के गाने ’साइबो’ की शूटिंग खत्म की थी। तब मैंने तय किया कि मैं अपनी बेटी का नाम साइबो रखूंगा। इस तरह ये गाना मेरे लिए और भी स्पेशल हो गया।’’
आज तोची की आवाज़ संगीत की बिरादरी के लिए एक वरदान है। उनके हर गाने के साथ-साथ चर्चाओं का बाज़ार और भी गर्म होता जाता है। उनकी आवाज़ में एक जादू है जो लोगों को दीवाना बना देता है।