दिव्या भारती उन एक्टर्स में से एक थीं जिन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपने करियर की ऊंची उड़ान भर ली थी। उन्होंने पहली बार 1990 में स्क्रीन का सामना किया था। तब वे केवल 16 साल की थीं। उनकी पहली फिल्म एक तेलुगू फिल्म थी, जिसका नाम था ’बोबीली राजा’। दिव्या ने बॉलीवुड में ’शोला और शबनम’, ’विश्वात्मा’, ’दिल आशना है’ और ’दीवाना’ जैसी फिल्में की हैं। 19 साल की उम्र में उनकी रहस्यमयी मौत के साथ उनका करियर भी खत्म हो गया।
दिव्या की मौत : सुसाइड या मर्डर?
दिव्या ने 5 अप्रैल 1993 को अपने जीवन की आखिरी सांस ली थी। कथित तौर पर मुंबई के वर्सोवा क्षेत्र में स्थित पांच मंजिला बिल्डिंग तुलसी अपार्टमेंट से गिरने पर उनकी मौत हो गई थी। उनके मरने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि उन्होंने आत्महत्या की है। वहीं कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि ये एक दुर्घटना या फिर मर्डर भी हो सकता है। मुंबई पुलिस भी उनकी मौत के कारण का पता लगाने में विफल रही और 1998 में दिव्या भारती के केस की फाइल को बंद कर दिया गया।
दिव्या की मौत साजिश थी?
दिव्या की मौत के पीछे साजिश होने की भी बात सामने आई थी। जिस समय कई लोग उनकी मौत के सदमें में थे उस समय कुछ लोग उनकी मौत के पीछे हुई साजिश का पता लगाने में मशगूल थे। एक थ्योरी के मुताबिक उनके पति साजिद को उनकी मौत का आरोपी माना जा रहा था। वहीं दूसरी थ्योरी के मुताबिक यह बात सामने आई थी कि साजिद, अंडरवर्ल्ड और उनकी मां के साथ उथल-पुथल भरे रिश्तों ने उन्हें सुसाइड के लिए उकसाया था। लेकिन उनकी मौत का असली कारण आज भी रहस्य बना हुआ है।
क्या हुआ था मौत की रात?
5 अप्रैल 1993 की रात को रात 11 बजे दिव्या भारती की मौत हुई थी। उनकी मौत के दिन ही अपने लिए नए अपार्टमेंट की डील की थी। मुंबई जैसी जगह में बहुत अच्छा फ्लैट ढूंढना काफी मुश्किल था। लेकिन दिव्या अपने भाई कुणाल के लिए एक अच्छा 4बीएचके फ्लैट ढूंढ कर काफी खुश थीं। हालांकि कुणाल ने वो घर जल्दी ही छोड़ दिया।
दिव्या उस दिन चैन्नई से शूटिंग खत्म करके लौटी थीं और शाम को ही दूसरे प्रोजेक्ट के लिए हैदराबाद जाने वाली थीं। लेकिन फ्लैट की डील की वजह से उन्होंने हैदराबाद जाने का प्रोग्राम एक दिन के लिए पोस्टपोन कर दिया। दिव्या को उस दिन पैर में चोट लगी थी और उन्होंने प्रोड्यूसर को इस बारे में फोन कर के बताया भी था। इसके बाद दिव्या ने ड्रैस डिजाइनर और अपनी फ्रैंड नीता लुल्ला और उसके हसबैंड को अपने वर्सोवा वाले फ्लैट पर मिलने बुलाया था। जिस फ्लैट में दिव्या रह रही थीं वो उनके नाम पर रजिस्टर्ड नहीं था।
मौत के पहले ऐसा था माहौल
नीता अपने हसबैंड के साथ दिव्या के घर लगभग 10 बजे पहुंचीं। तीनों दिव्या के लिविंग रुम में बैठकर बातें कर रहे थे और शराब पी रहे थे। उस समय दिव्या की मेड भी लिविंग रुम में ही मौजूद थी। नीता और उनके हसबैंड से बात करने के दौरान दिव्या खिड़की के पास चली गईं और चिल्ला-चिल्लाकर अपनी मेड से बात कर रही थीं। उस वक्त उनकी मेड किचन में थी। जब दिव्या खिड़की के पास गईं तो नीता अपने हसबैंड के साथ टीवी देखने लगीं। उस समय दोनों आपस में कोई बात नहीं कर रहे थे।
दिव्या के आखिरी पल
दिव्या के लिविंग रुम में कोई बालकनी नहीं थी लेकिन एक ओपन विंडो थी। बिल्डिंग की बाकी विंडो में से उनकी विंडो अकेली ऐसी विंडो थी जिसमें ग्रिल नहीं लगी थी। विंडो के नीचे पार्किंग लॉट था। लेकिन उनकी मौत के दिन एक भी कार पार्किंग में नहीं थी। दिव्या खिड़की पर बैठ गईं। उन्होंने अपनी पीठ लिविंग रुम की तरफ कर रखी थी। जब दिव्या ने खिड़की की फ्रैम का सहारा लेकन लिविंग रुम की तरफ मुड़ना चाहा तो उनका बैलेंस बिगड़ गया और वे खिड़की से बाहर गिर गईं।
दिव्या की आखिरी सांस
गिरने के बाद दिव्या अपने ही खून में लथपथ हो गईं। वे गिरने के कुछ देर बाद तक जिंदा थीं। अंत में मुंबई के कूपर हॉस्पिटल के एमरजेंसी वॉर्ड में उन्होंने दम तोड़ दिया।