जानिए एयरलाइन्स में मिलने वाले फूड का सच
हजारों मील का सफर कुछ ही घंटों में तय कर लेना आज के तकनीकी युग की सबसे बड़ी देन है। मगर हवाई यात्रा जितनी रोमांचक होती है , उतना ही आकर्षक होता है इनमें मिलने वाला फूड। लेकिन कई लोग ऐसा मानते हैं कि इसमें मिलने वाला फूड स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा नहीं होता। बड़े-बड़े शेफ द्वारा तैयार किया गया खाना कया वाकई में उपयोगी नहीं होता। इस बारे में एयर इंडिया के कैबन कू्र अशोक संधू बताते हैं कि हवाईजहाज का खाना वास्तव में जमा होता है। उसे फिर से गर्म कर सर्व किया जाता है। भारत से अमेरिका पहुंचने में 17 से 18 घंटे लगते हैं। इस बीच कई बार उड़ाने सात से आठ घंटे का हॉल्ट करती हैं। उड़ान के दौरान यात्रियों को रात या दिन का खाना देना पड़ता है। कुछ फूड तो फ्रोजन होते हैं, जिन्हें हल्का गर्म करके सर्व किया जाता है। सलाद या सैंडविच उसी समय तैयार किए जाते हैं। फ्रोजन फूड की गुणवत्ता बनी रहती है कयोंकि उसे टेस्ट के बाद ही सही तापमान में पैक किया जाता है। ताज फलाइट , किचन ऑबरॉय, एंबेसडर फलाइट आदि कई बड़े बड़े होटलों में फलाइट किचन होते हैं, जो हजारों मील दूर खाना परोसती है। इतनी दूर, इतनी ऊंचाई पर भी वही न्यूट्रिशनल वैल्यू, कैलोरीज, विटामिन, प्रोटीन आदि सबकी पूरी -पूरी गारंटी होती है।
बिजनेस और प्रथम श्रेणी के यात्रियों को मिलता है अच्छा खाना-
यह सही है कि वे ज्यादा पैस देते हैं, तो उन्हें अच्छी चॉइस मिलती है। मगर खाना सबको अच्छी कवालिटी का ही दिया जाता है। अधिकतर गुजराती और जैनी लोग पनीर पसंद करते हैं, तो उन्हें वो भी सर्व किया जाता है।
खाना जो एयरलाइन्स में सर्व नहीं किया जाना चाहिए, फिर भी सर्व होता है
पोर्क मीट, चिकन आदि को पहले से पकाकर फिर फ्रीज किया जाता है। अच्छी तरह से मैरिनेट करने के बाद ही नॉन-वेज फूड कुक किया जाता है। ताकि उनका स्वाद, रंग और गुणवत्ता बनी रहे। अधिकतर नॉन-वेज आइटम बोनलैस होते हैं, इसलिए जल्दी खराब नहीं होते। यहां इतना कहना सही होगा कि तीस हजार फुट की उऊचाई पर भी कोई खाने का पदार्थ अपना स्वाद न खोए, इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। शेफ भी उसी फूड को अपने मैन्यू में शामिल करते हैं, जो जल्दी खराब न हो।
फास्ट फूड एयरलाइन्स में मिलने वाले फूड से बेहतर है-
एयरलाइंस में उड़ान भरने से पहले उसके फूड, साफसफाई, एयरफ्रेशनेस आदि की चैकिंग की जाती है। बर्गर, फ्राइस, चाइल्ड मील, सी-फूड आदि सभी की गुणवत्ता का सर्टिफिकेट केटरर से लिया जाता है।
सो जाने के हिसाब से तैयार होता है एयरलाइंस का फूड-
ऐसा कभी नहीं हो सकता। दरअसल, लंबी दूरी की उड़ान में ज्यादा समय तक आसमान में रहना पड़ता है। वहां एयरप्रेशर कम रहता है जिससे ऑकसीजन कम मिलती है। जिससे लोग स्लीपी फील करते हैं। ऐसे में कई बार लोग ग्रीन टी पीकर सो जाते हैं। इसके साथ ही उड़ान में सर्व किया जाने वाला ड्रिंक या खाना सौ फीसदी जांचपरख के बाद ही यात्रियों को सर्व किया जाता है।