वीर जवानों की शहादत न जाए खाली
जिस देश की सेना के जवान ऐसे वीर हों, उस पर हमेशा जनता को फक़्र भी रहता है और उनके होते वे अपने आप को सुरक्षित भी महसूस करते हैं। एक ओर जहां लंबे समय से हमारी देश की सेना ने समय-समय पर अपनी बहादुरी के परचम लहराए हैं वहीं संयम का परिचय भी दिया है। सिर्फ़ लड़ना, बम फेंक देना, गोली चला देना तो कोई भी कर सकता है किंतु ऐसी विपरीत परिस्थितियों में अपने संयम का परियच देना ही सबसे ज़्यादा बहादुरी को दर्शाता है। लंबे समय से देश की बॉर्डर को सुरक्षित रख देश को बचाकर आक्रमण स्वयं पर लेना व शहीद होना निश्चित तौर पर उनकी इस वीरता को, उनकी शहादत को सलाम करना लाज़मी बनता है।
वीर जवानों की शहादत कोई छोटी क्षति नहीं है। लंबे समय से चल रही आतंकवादी गतिविधियों की वजह से हमारे काफ़ी जवान वीरगति को प्राप्त हुए। बदले में हम, हमारी सरकार सिर्फ़ और सिर्फ़ शब्दों में ही जवाब दे सके, उससे अधिक कुछ नहीं। वे हमारे सैनिकों के सिर तक काट कर ले गए और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, विश्व बिरादरी में पाकिस्तान और आतंकवाद को जोड़कर उनसे समर्थन की गुहार लगाते रहे, विश्व की नज़र से हम देखते रहे। गुस्सा हमारा उबला तो विश्व ने हमें संयम से कार्य करने की नसीहत दी। आज भी हम यही बात कर रहे हैं कि यू.एन. में हम इस मुद्दे को ज़ोरदार तरीके से उठाएंगे, विश्व की अन्य वार्ता बैठकों में पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर उसे आतंकवादी देश घोषित करवाएंगे इत्यादि। चार दिन शब्दों में गुस्सा व्यक्त कर, कुछ दिन पाकिस्तान से कोई वार्ता न कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेंगे। फिर वही कहानी कुछ दिन बाद हमारे साथ घटित होगी। वीरगति को प्राप्त जवानों को मेडल दे देंगे। यही इस देश की, देशवासियों की कहानी हो गई है।
सरकारें किसी की भी हों कोई फ़र्क नहीं पड़ता। विश्व बिरादरी में यह साबित हो चुका है कि हम सिर्फ़ शब्दों के शेर हैं। ये सिर्फ़ गरजते हैं। पिछली सरकारों से हट कर मोदी जी ने स्वयं को और भारत को विश्व राजनीति में ज़्यादा अक्रामक तरीकों से आगे बढ़ाया। अब तक बचते आ रहे अमरीकी संबंधों में ज़्यादा स्पष्ट तरीकों से उनका साथ दिया। उनकी हर बात मानकर अपने देश के गेट अमरीकी कम्पनियों के लिए खोल दिए। अमेरिका ने भी मोदी जी को तहे दिल से गले लगाया और भारत का इस्तेमाल चीन, पाकिस्तान, एशिया से राजनीति में करना शुरू कर दिया। रूस तो हमेशा से ही भारत का अभिन्न मित्र रहा लेकिन भारत ने रूस को दरकिनार कर दिया। ऐसी अक्रामक नीति की चालों में ऐसी घटना की संभावना बहुत प्रबल हो जाती है किंतु हमने उस पर ध्यान नहीं दिया। सिर्फ़ दूसरों की चालों के मोहरे बने रहे और हमें लगता रहा कि हम चालें खेल रहे हैं। नतीजा ये कि जवान शहीद हो रहे हैं और हम कुछ ख़ास नहीं कर पा रहे हैं। रूस ने आज फिर अपनी दोस्ती को निभाया और पाकिस्तान के ख़िलाफ तुरंत कार्यवाही की किंतु अमेरिका आज भी चुप है और यहां पूरा देश क्रोध की अग्नि में धधक रहा है। क्या ऐसे में हम सिर्फ़ विश्व बिरादरी में लोगों का समर्थन ही हासिल करते रहेंगे या अपने देश व देश की जनता, हमारे सैनिकों के आत्म-सम्मान को भी देखेंगे। देश की संपूर्ण जनता का मैसेज एक ही है। सरकार से उम्मीद भी है कि ऐसा हो जिसके लिए उनको पूरे देशवासियों का समर्थन भी है। आशा है सिर्फ़ शब्द बाण नहीं बल्कि उचित और ठोस कार्यवाही होगी और देश की स्थिति सम्मानजनक होगी।