Tuesday, August 22nd, 2017
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ऐसा हो आपका विजिटिंग कार्ड तो जल्दी मिलती है सफलता




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visiting card
आज कल हर युवा के पास अपना एक विजिटिंग कार्ड होता है. चाहे वह किसी भी पेशा का हो. मार्कटिंग वाला हो, रिपोटर हो, बिजनेसमैन हो, हम ऐसा कह सकते हैं की कोई भी व्यक्ति अगर किसी भी प्रकार का व्यवसाय करता हैं तो उसके पास उसका या उसकी कंपनी के द्वारा दिया गया एक कार्ड होता है. जिसमे उस व्यक्ति की जानकारी होती हैं जैसे की मेल आईडी , फ़ोन नंबर, कंपनी लोगो, पता आदि जानकरी दी जाती हैं.

आज कल जब भी व्यक्ति एक दूसरे से मिलते है तो उनसे भविष्य में संपर्क करने के लिए अपने विजिटिंग कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. ताकि उसने लेनदेन या समामाजिक संपर्क स्थापित हो सके. पहले के समय में विजिटिंग कार्ड तो नहीं चलते थे पर राजा महाराजा लोग आपसी सूचना के आदान-प्रदान के लिए राजसी मोहर या पत्र का इस्तेमाल करता थें. तब भी वो लोग अपनी मुद्रा या पत्र को वास्तु संम्बत लिखते थे या बनवाते थें. ताकि दूसरे राजा को भेजा गया सन्देश उनके अनुकूल हो. अब आज मुद्रा या पत्र तो चलते नहीं है. आज उनका रूप है विजिटिंग कार्ड. इसी बात को ध्यान में रखते हुये आज हम आपको बताने जा रहे है, कैसा हो आपका कार्ड.

वास्तु के अनुसार अगर आपका विजिटिंग कार्ड होता है तो आपके व्यापार में सफलता भी ज्यादा मिलने के चांस रहते हैं. आपका कार्ड सबसे पहले आकर्षक होना चाहिये. उसका आकार चौकोर होना चाहिये. अगर आपका कार्ड विषम कोण का हुआ तो आपके सम्बन्ध ज्यादा समय तक नहीं टिकते कोई न कोई अड़चन आयगी. इसलिये कार्ड समकोण के हो. कही से कटा-फटा न हो. किसी भी तरह से पुराना या दाग धब्बे न हो. कही से मुड़ा हुआ न हो. कार्ड के बिलकुल बीच में कुछ न लिखे उसको खाली रहने दे. कार्ड का मध्य स्थान जिसे ब्रह्म स्थान कहते हैं उसके खली रहने की वजह से पॉजिटिव और अनुकूल ऊर्जा आपके व्यापार को मिलती रहती हैं.

आप अपनी कंपनी का नाम और पता दक्षिण-पश्चिम की तरफ लिखवाना चाहिये. क्योंकि वास्तु में यह कोण स्थिरता यानि की लंबे समय तक टिके रहना और व्यापकता यानि की विस्तार का प्रतिक माना जाता हैं. कंपनी का ट्रेडमार्क या लोगो के लिए कार्ड का ईशान कोण यानी की पूर्व – उत्तर की तरफ हो, क्योकि यह दिशा शुभ मानी जाती हैं.

आप अपना फोन नम्बर उत्तर पश्चिम यानि की व्यय कोण में लिखे यह दिशा वायु की दिशा मानी जाती हैं. जिस प्रकार हवा कही भी आ जा सकती है तेज और धीमी गति से ये गति हमारे व्यापर के लिये लाभ देती हैं. आप अपना नाम ब्रह्म स्थान के ऊपर भी लिख सकते हैं. मोबाइल नम्बर आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व के कोने पर लिखें.

ये तो हुई कार्ड की बात अब बात करते है रंग की, वेसे ज्योतिष में कहा गया है की विजिटिंग कार्ड का रंग आपकी कुंडली में ग्रहो के अनुसार हो. यह सभी के लिए सम्भव नहीं हैं. इसलिये आप पिले हरे और लाल रंग के रंगों का प्रयोग आपने कार्ड में कर सकते हैं. इसके साथ- साथ आपके कार्ड पर की गई लिखावट और चित्रकारी भी सुन्दर होनी चाहिये.

अगर आप अपना विजिटिंग कार्ड बनवाने जा रहे हैं तो इन छोटी बातों को धयन में रखेगे तो आपको जरूर लाभ मिलेगा. ऐसा ज्योतिषचार्यो का कहना है. उनका मानना है की ऐसा करने से आपके पास सकारत्मक ऊर्जा हस्तांतरित होती हैं. जो आपमें विश्वाश पैदा करती हैं. वास्तु के अनुसार कार्ड बनवाने के बावजूद आप में यह हुनर होना भी जरुरी है की आप अपने क्लाइंट से कैसे बात करते हैं आपके बोलने का तरीका क्या हैं. सिर्फ कार्ड बनवाने से व्यापर नहीं बढेगा आपकी मेहनत और ज्योतिष मिलकर आपको सफल बनायेगें.

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