दिल्ली की यमुना नदी में जल्द चलेंगी वाटर टैक्सी
जी हां अब दिल्ली में वाटर टैक्सी चलने वाली हैं। दरअसल, दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यमुना वाटर टैक्सी परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए पांच कंपनियां सामने आई हैं। योजना के तहत यमुना वाटर टैक्सी वजीराबाद से फतेहपुर जट के बीच 16 किलोमीटर के बीच चलाई जाएगी। यमुना नदी में वाटर टैक्सी चलाने को लेकर दायर की गई याचिका पर लंबे समय से एनजीटी में सुनवाई चल रही है। इस परियोजना को लेकर सितंबर में एनजीटी ने जल संसाधन मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी व अन्य पक्षों को याचिका पर अपना जवाब देने के लिए कहा था। मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होनी है। यमुना में वाटर टैक्सी चलाने की दिशा में काफी तेजी से काम हो रहा है। जिन कंपनियों ने इस परियोजना के लिए रुचि दिखाई है उनमें से अंतिम नाम तय करने पर विचार किया जा रहा है। यह टैक्सी परियोजना पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल होगी। परियोजना पर केंद्र 28 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
इसमें टर्मिनल निर्माण, गाद निकासी और नौकाओं की कीमत भी शामिल है। इस परियोजना के पहले चरण में वजीराबाद बैराज से फतेहपुर जट के बीच 16 किलोमीटर लंबा सफर वाटर टैक्सी से 45 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। योजना के अनुसार पानी में तैरने वाले पांच पोर्ट बनाए जाएंगे जो रस्सियों से बंधे होंगे। इन पोर्ट से ही नाव चलेंगी। दिल्ली में यमुना खादर में स्थायी व अस्थायी दोनों तरह के हो रहे निर्माण कार्य पर यमुना बचाओ अभियान के प्रमुख मनोज मिश्रा ने एनजीटी में याचिका डाली थी। उनकी याचिका पर गत वर्ष 13 जनवरी को सबसे पहले एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि यमुना क्षेत्र में स्थायी या अस्थायी किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए।
वहीं सरकार ने कई पहलुओं पर किए गए अध्ययन के बाद यमुना को आवागमन का जरिया बनाने की बात कही और बताया कि दिल्ली के वजीराबाद से फतेहपुर जट तक 16 किलोमीटर परिक्षेत्र में नौकावहन किया जा सकता है। इसके लिए निर्माण कार्य करने होंगे। जलमार्ग को विकसित करने के लिए जो भी निर्माण कार्य होगा वह पर्यावरण के अनुकूल रखा जाएगा। लिहाजा एनजीटी अपने आदेश में इस टैक्सी परियोजना को शुरू करने के लिए निर्माण कार्य करने की अनुमति दे। अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि इस जलक्षेत्र में वाटर टैक्सी परियोजना शुरू करने के लिए यमुना में पर्याप्त गहराई की जरूरत है।