Thursday, August 3rd, 2017
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“द ब्लू व्हेल गेम” क्या है जिसमे सुसाइड है विनिंग ट्रॉफी




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युवाओं और बच्चों में इन्टरनेट और इन्टरनेट गेम का पागलपन किस हद तक जा सकता है इस बात का अंदाजा इस भयावह खबर से लगाया जा सकता है, कि 9वी क्लास में पढ़ने वाला एक बच्चा इंटरनेट सुसाइड गेम ‘द ब्लू व्हेल गेम’ को खेलने के लिए अपना स्कूल छोड़ देता है और गेम को पूरा करने के लिए अपनी जान तक दे देता है।  इन्टरनेट और इन्टरनेट गेम के नुकसान तो बहुत से देखे गए फिर वो मानसिक हो या शारीरिक लेकिन, रूस के एक सनकी गेम मेकर के बनाये इस गेम ने अभी तक रूस, पकिस्तान और US में कुल 200 लोगों की जानें ली है।  भारत में यह पहला मामला है, और इससे यह सवाल उठता है कि क्या ये ख़तरनाक गेम अब भारत में अपने पैर पसार रहा है?

मुंबई में सामने आई एक घटना के बाद तो यही आशंका जताई जा रही है कि यह इंटरनेट सुसाइड गेम भारत में भी असर दिखा रहा है। मुंबई की अंधेरी ईस्ट में रहने वाले 14 वर्षीय छात्र मनप्रीत सिंह ने इस गेम को खेलते हुए सातवीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने से पहले उसने अपने दोस्तों को बताया भी कि वो यह गेम खेल रहा है और इसे खेलने के लिए वो अपने स्कूल नहीं आएगा।

इससे पहले भी लोगों पर ऐसे कई गेम्स का खुमार चढ़ चुका है-

इन्टरनेट गेम्स की दुनिया में असल जीवन से जुड़े गेम्स को बनाने का चलन कुछ ज्यादा ही चला है, और आम लोगो के बीच जब ये गेम्स आते हैं तो लोग बिना सोचे समझे इन्हें खेलने लगते हैं।  इसका एक उदहारण अभी कुछ दिनों पहले चलने वाला गेम पोकेमोन गो है जिसको खेलने के लिए लोग पागलों की तरह किसी भी हद तक जा रहे थे बिना अपनी जान की परवाह किये।  अकेले US में पोकेमोन गो की वजह से 100000 से ज्यादा रोड़ दुर्घटनाएं हुई और पैदल चलने वाले लोगों की जान जोखिम में आई।

पोकेमोन गो को बनाने वाले का इस गेम को बनाए जाने के पीछे एक तर्क था कि वो इस गेम के द्वारा बच्चों को शारीरिक तौर पर एक्टिव करना चाहता था, लेकिन असल में हुआ कुछ और ही, यह गेम लोगों की जान पर जोखिम बनने लगा।

अभी फिजेट स्पिनर नाम का एक टॉय गेम बहुत ही प्रसिद्ध हो रहा है लोगों के बीच, और इसे स्ट्रेस की दवा बताकर बेचा जा रहा है।  यह एक चकरघिन्नी की तरह घूमता रहता है बस, और लोग घंटों इसे घुमाते रहते हैं।  बहुत से नए नए तरीके निकाल रहे हैं लोग इस चकरघिन्नी को घुमाने के। असल में इस खिलौने को बनाने की शुरुआत बच्चों को लेकर एक विचार से हुई थी।  कैथरीन हेटिंगर नामक एक विदेशी महिला ने जब बच्चों को दूसरों पर पत्थरों से वार कर अपना मनोरंजन करते देखा, तो उसे बच्चों के हांथों से पत्थर हटा कर उनमें एक ऐसी चीज़ देने का विचार आया जो बच्चों को स्थिर कर सके और वो अपने आप में ही खेलते रहें और किसी को कोई नुकसान न पहुंचाएं।  फिजेट स्पिनर को स्ट्रेस की दावा कहा जा रहा है लेकिन इसका असर तो उल्टा ही पड़ रहा है, बच्चे- बड़े सभी अपने काम और पढाई को भूल कर इसे घुमाने के चक्कर में लगे हैं, वो भी पागलपन की हद तक।

क्या है ब्लू वेल ऑनलाइन गेम-

द ब्लू व्हेल गेम’ या ‘द ब्लू व्हेल चैलेंज’ रूस में बना इंटरनेट गेम है। वहां अब तक 130 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। इस गेम में यूजर को 50 दिन तक कुछ खास टास्क बताए जाते हैं। एक-एक कर सारे टास्क पूरे करते रहने पर आखिरी में सुसाइड के लिए उकसाया जाता है। साथ ही हर टास्क पूरा होने के साथ प्लेयर को अपने हाथ पर एक कट लगाने के लिए कहा जाता है। आखिरी में तो आकृति उभरती है, वो व्हेल की होती है। जो ब्लू नहीं, खून के रंग में रंगी रेड व्हेल होती है।

 

क्या है गेम का 50 टास्क ?

‘द ब्लू व्हेल गेम’ में 50 दिन तक टास्क बताए जाते हैं।  इसे इंटरनेट पर खेला जाता है।

हर टास्क को पूरा करने पर हाथ पर एक कट करने के लिए कहा जाता है।

आखिर में व्हेल की आकृति उभरती है।

इसमें हाथ पर ब्लेड से एफ-57 उकेरकर फोटो भेजने को कहा जाता है।

इसके साथ ही सुबह 4। 20 बजे उठकर हॉरर वीडियो या फिल्म देखने के लिए और क्यूरेटर को भेजने के लिए कहा जाता है।

हाथ की 3 नसों को काटकर उसकी फोटो क्यूरेटर को भेजनी होती है।

सुबह ऊंची से ऊंची छत पर जाने को कहा जाता है।

कागज की सीट पर व्हेल बनाकर क्यूरेटर को भेजना होता है।

व्हेल बनने के लिए तैयार होने पर अपने पैर में ‘यस’ उकेरना होता है।  और नहीं तैयार होने पर अपने को चाकू से कई बार काटकर सजा देना होता है।

चार स्टेज में छत पर जाना होता है।

क्यूरेटर के द्वारा भेजी गई म्यूजिक को सुनना होता है।

50वें दिन प्लेयर को किसी ऊंचे छत से कूदकर खुदकुशी कर विजेता बनने की बात कही जाती है।

किसने इसे बनाया-  

इस गेम को एक रूसी नागरिक फिलिप बुडेकिन ने 2013 में बनाया था।  उस सनकी गेम मेकर के अनुसार उसने यह गेम समाज की सफाई करने के लिए बनाया था।  इस गेम से रूस में पहला सुसाइड 2015 में सामने आया था। इसके बाद फिलिप को गिरफ्तार कर लिया गया और उस पर केस चला। सुनवाई के दौरान फिलिप ने बताया कि उसने ये गेम समाज की सफाई करने के मकसद से बनाया था। जिन लोगों ने गेम खेलते हुए आत्महत्या की है, फिलिप की नजर में वे ‘बयोलॉजिकल वेस्ट’ थे।

अगर गेम छोड़ा बीच में तो मिलेगी धमकी-

अगर किसी ने एक बार गेम खेलना शुरू कर दिया, तो वो इसे बीच में नहीं छोड़ सकता। एक बार गेम शुरू हो जाने पर गेम खेलने वाले का फोन एडमिन हैक कर लेता है और फोन की सारी डिटेल उसके कब्जे में आ जाती है। अगर कोई बीच में गेम छोड़ना चाहे, तो एडमिन की तरफ से धमकी मिलती रहती है।

पेरेंट्स और गार्जियन को सावधान होना जरुरी-

इस घटना में जांच चल रही है और एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक मनप्रीत मानसिक तौर पर पूरी तरह इस गेम में रम चुका था और उसने इस बात का जिक्र गेम के एडमिन से भी किया, लेकिन एडमिन उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाने में सफल रहा।

इस तरह के इन्टरनेट यूज़ और गेम से अपने बच्चों को बचाने के लिए पेरेंट्स और गार्जियन को सावधान रहने की ज्यादा जरुरत है। बच्चों को इस बात का अंदाज नहीं रहता की वो किस चक्रव्यूह में फंस रहे हैं और वह कितना घातक हो सकता है। माता पिता को बच्चों से बात करनी चाहिये और बच्चों की मानसिक स्थिति और किसी भी बात को लेकर आई परेशानी के बारे में पता करना जरुरी है। यह भी देखे कि वो अपना समय कहाँ और किस चीज़ में बिता रहा है।

 

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