प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति के पद से इसी साल सेवा निवृत्त हुए है। दो साल पहले जब वे राष्ट्रपति थे तो उन्होंने शिक्षक दिवस के मौके पर बच्चों से रूबरू होना मुनासिब समझा। वैसे प्रणब मुखर्जी को बच्चों से काफी प्यार है इसलिए तो दो साल पहले शिक्षक दिवस के मौके पर खुद ही बच्चो को पढ़ाने निकल पड़े। उन्होंने इस मौके पर सर्वोदय विधालय के स्टूडेंट्स को पढ़ाया। माननीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपनी क्लास में भारतीय इतिहास पढ़ाया। जिसे स्टूडेंट्स ने काफी उत्साह के साथ पढ़ा।
राष्ट्रपति ने बताया हमारी एजुकेशन सिलेबस से चलती है जिस पर आप का नियंत्रण नही है सरकार का नियंत्रण है।
उन्होने यह भी बताया कि भारत का इतिहास दो भागों में बंटा है जिसमें 40 प्रतिशत ब्रिटीश इतिहास है। और 60 प्रतिशत भारतीय इतिहास है। ये 60 प्रतिशत भारतीय इतिहास भी तीन भागों में बटा है। भारतीय इतिहास बताने के साथ ही उन्होने बच्चोें को एतिहासतिक आर्थिक व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को समझाया।
उन्होने अपने बचपन की यादे साझा करते हुए बच्चो से कहा कि जब मै छोटा था तो मै बहुत ही शरारती हुआ करता था तीन-चार दिन तक स्कूल नही जाता था कारण ये था कि स्कूल बहुत दूर था। ऐसे में टीचर्स घर पर मम्मी से आकर शिकायत करते तो मम्मी के पूंछने पर दूरी का बहाना बनाते थे। पर मम्मी कहती तुम्हारे पास और कोई आप्शन है चुपचात स्कूल जाओ और अपना काम करों। हां पर उन्होने एक वादा किया कि जब तुम काॅलेज जाओंगे तो तुम्हारा हाॅस्टल पास ही होगा। जब मै काॅलेज गया तो मेरा हाॅस्टल काॅलेज के पास ही था। पर वहां भी एक मुसीबत वहां लाईट नही रहती थी। मैने मां को बताया तो उन्होने कहां कि और कोई आप्शन है तो मैने कहां नही उन्होने कहां हमारे पास कोई आप्शन नही है हमें बस हमारा काम करना है।