मोदी सरकार देश विकास के इन तीन अहम् मोर्चों पर असफल साबित हुई है, पहला सच तो खुद इस सरकार ने सार्वजनिक रूप से कबूल किया है कि इस सरकार के दौरान किस तरह सांप्रदायिक, जातीय और नस्ली भेद बढ़कर हिंसा में बढ़ोतरी तक जा पहुंचा, दूसरा आइना दिखाया अमेरिका द्वारा आंतक से सर्वाधिक जूझ रहे देशों कि लिस्ट में और तीसरा देश को नौजवानों का देश कहने वाले मोदी के राज में बेरोजगारों को नौकरी दिलाने के आंकड़ें नकारात्मकता बयां कर रहे हैं, आएं हम मिलकर वाकिफ हों इस सच, आईने और आंकड़ें की बयानी से प्रस्तुत पेज 1 से पेज 3 तक की इस रिपोर्ट में-
सच्चा सच, जो खुद कबूला सरकार ने
नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार (25 जुलाई) को लोक सभा में यह जानकारी दी कि पिछले 3 सालों में सांप्रदायिक, जातीय और नस्ली हिंसा को बढ़ावा देने वाली घटनाओं में 41% की बढ़ोतरी हुई है। गृह राज्य मंत्री गंगाराम अहिरवार द्वारा सदन में पेश की गई राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में धर्म, नस्ल या जन्मस्थान को लेकर हुए विभिन्न समुदायों में हुई हिंसा की 336 घटनाएं हुई थी। साल 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 475 हो गई। अहिरवार एक गौ-रक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा और सरकार द्वारा उन पर रोक लगाने से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों में भारी कमी
अहिरवार ने सदन में कहा कि सरकार के पास गौ-रक्षकों से जुड़ी हिंसा का आंकड़ा नहीं है लेकिन सांप्रदायिक, जातीय या नस्ली विद्वेष को बढ़ाने वाली हिंसक घटनाओं का आंकड़ा मौजूद है। मंत्री अहिरवार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार राज्यों में ऐसी घटनाओं में 49% बढ़ोतरी हुई। साल 2014 में राज्यों में 318 ऐसी घटनाएं हुई थी, जो साल 2016 में बढ़कर 474 हो गई। वहीं दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी घटनाओं में भारी की कमी आई। राजधानी और केंद्र शासित प्रदेशों में साल 2014 में ऐसी हिंसा की 18 घटनाएं हुई थी, लेकिन साल 2016 में ऐसी केवल एक घटना हुई।
यूपी में तेजी से बढ़ोतरी
उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक, जातीय और नस्ली विभेद को बढ़ावा देने वाली हिंसक घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई। यूपी में तीन सालों में ऐसी घटनाएं 346 प्रतिशत बढ़ीं। साल 2014 में यूपी में ऐसी 26 घटनाएं हुई थीं तो साल 2016 में ऐसी 116 घटनाएं हुईं। उत्तराखंड में साल 2014 में ऐसी केवल चार घटनाएं हुई थीं लेकिन साल 2016 में राज्य में ऐसी 22 घटनाएं हुईं। यानी उत्तराखंड में ऐसी घटनाओं में 450 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
बंगाल में भी बढ़ोतरी
पश्चिम बंगाल में साल 2014 में ऐसी हिंसा की 20 घटनाएं दर्ज हुई थी, वहीं साल 2016 में 165% बढ़ोतरी के साथ ऐसी 53 घटनाएं दर्ज हुई। मध्य प्रदेश में 2014 में पांच तो 2016 में 26 ऐसी घटनाएं हुई थी। हरियाणा में 2014 में 3 और 2016 में 16 ऐसी घटनाएं हुई थी। बिहार में साल 2014 में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी लेकिन 2016 में ऐसी आठ घटनाएं हुई। अहिरवार ने संसद में बताया कि केंद्र सरकार मॉब लिंचिंग के खिलाफ कोई नया कड़ा कानून बनाने पर विचार नहीं कर रही है। अगले पेज पर पढ़ें – अमेरिका ने दिखाया आइना – “आंतक के साये में जीना सीख ले भारत”