योग गुरु बाबा रामदेव के सम्पूर्ण जीवन पर लिखी गई किताब ‘गॉडमैन टू टाइकून : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव’ की बिक्री एवं प्रकाशन पर दिल्ली की एक कोर्ट ने रोक लगा दी है, और आश्चर्य की बात यह कि बाबा रामदेव ने ही खुद पर लिखी किताब पर रोक लगवाने के लिए अदालत में गुहार लगाई थी। तर्क यह दिया गया है कि इस किताब में बाबा रामदेव के जीवन को गलत तरीके से पेश किया गया है, जो उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
मुंबई की पत्रकार प्रियंका पाठक नारायण हैं लेखिका
कोर्ट द्वारा इस किताब पर रोक लगाने के आदेश से इस किताब की लेखिका हैरान हैं। आपको बता दें कि इस किताब को मुंबई की पत्रकार प्रियंका पाठक नारायण ने लिखा है। एक न्यूज़ पेपर को लेखिका ने बताया कि उन्हें इस तरह किताब पर रोक लगने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि इसके पहले भी कई किताबें बाबा रामदेव पर लिखी गई हैं। वे आगे कहती हैं किताब लिखने के दौरान उन्होंने बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण से मुलाकात भी की थी, अर्थात बाबा रामदेव को यह बात मालूम भी थी कि मैं उन पर किताब लिख रही हूँ।
यह है किताब में
किताब में बाबा रामदेव के हरियाणा में पैदा होेने से लेकर पंतजलि को एक आयुर्वेदिक कंपनी के रूप में शुरू कर, इसे बुलंदियों तक पहुंचाने की जानकारी है। साथ ही किताब में बाबा के सहयोगी बालकृष्ण और अन्य लोगों की बाबा के जीवन में भूमिका पर विस्तार से वर्णन किया गया है।
अपर कोर्ट में अपील करेंगे – प्रकाशक
इस बारे में उक्त किताब के प्रकाशक जगरनॉट बुक्स का कहना है कि अदालत ने हमारा या लेखक का पक्ष सुने बिना ही बाबा रामदेव के जीवन पर लिखी गई किताब पर रोक लगा दी। प्रकाशक का यह भी कहना है कि उन्हें यह आदेश 10 अगस्त 2017 को प्राप्त हुआ है और वे इस आदेश के खिलाफ जल्द ही अपर कोर्ट में अपील करेंगे।
प्रेस की स्वतंत्रता को बचाने की जरूरत – थरूर
बाबा रामदेव के इस कदम की काफी आलोचना की जा रही है। सोशल मीडिया में भी उनके के खिलाफ सैकड़ों ट्वीट्स किए गए हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रकाशक के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा कि हमें प्रेस की स्वतंत्रता को बचाने की जरूरत है।