6 महीने में सिर्फ 0.5% एम्प्लॉयमेंट ग्रोथ
एम्प्लॉयमेंट अपार्चुनिटीज बहुत धीमी स्पीड से बढ़ने के कारण, देश में बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है । केंद्र सरकार की एम्प्लॉयमेंट पर आई एक रेसेंट रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल वर्ष 2016 में 1 अप्रैल से 1 अक्टूबर के बीच की छःमाही अवधि में अर्थव्यवस्था के मुख्य नॉन-एग्रीकल्चर सेक्टर्स – मैन्युफैक्चरिंग एवं इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आईटी-बीपीओ, हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर में महज एक लाख नौकरियों के नए अवसर पैदा हुए हैं।
इन सेक्टरों में दो करोड़ से ज्यादा लोग कार्यरत हैं, ऐसे में सिर्फ आधा प्रतिशत एम्प्लॉयमेंट ग्रोथ इकानॉमी के लिए कटाई उचित नहीं मानी जा सकती है और सरकार के लिए भी यह चिंता का विषय है। जिस रिपोर्ट की बात हो रही है, वह तीसरी तिमाही की रोजगार रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में सरकार ने पिछले साल संशोधन किया था और नए सेक्टर्स भी इसमें शामिल किए थे। रिपोर्ट 10,000 से ज्यादा प्रतिष्ठानों के सैंपल साइज पर बेस्ड है। पहली रिपोर्ट को पिछले साल जारी किया गया था, जिसमें रोजगार का बेस-ईयर अप्रैल 2016 था।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 6 महीने सिर्फ 12,000 नए जॉब्स
रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि रोजगार में वृद्धि की रफ्तार न सिर्फ बहुत दुखद है बल्कि इसमें कई विषमताऐं भी है। उदाहरणतः 1.09 लाख नई नौकरियों में थ्री फोर्थ अर्थात 82,000 नई नौकरियों का अवसर सिर्फ दो सेक्टर्स हेल्थ और एजुकेशन में पैदा हुए है। मैन्युफैक्चरिंग को इकॉनॉमी के लिए रीढ़ की हड्डी माना जाता है, जिसमें छह महीने में महज 12,000 नई नौकरियां पैदा हुई हैं अर्थात इस अहम सेक्टर में रोजगार वृद्धि सिर्फ 0.1 फीसदी है जबकि चुने गए सेक्टर्स में से अकेले इस सेक्टर में करीब 50 फीसदी लोगों को नौकरियां मिलती हैं।
- - Advertisement - -