Thursday, September 21st, 2017 16:19:30
Flash

मैं नरेंद्र दामोदर दास मोदी…




मैं नरेंद्र दामोदर दास मोदी…Politics

Sponsored




‘‘मैं नरेन्द्र दामोदर दास मोदी… चला राजपथ, विश्वपथ… सब हुए लथपथ, लथपथ, लथपथ’’

जी हां! ऐसा ही कुछ मंजर हो रहा है हमारे देश का। माननीय प्रधानमंत्रीजी ने जब से अपनी नई पारी की शुरूआत की वह किसी आंधी से कम नहीं थी। संपूर्ण देश ने उन्हें प्रचंड बहुमत से संसद पहुंचा कर इस देश की बागडोर थमा दी। किंतु उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही उनकी गतिविधियां, कार्य कुछ इस प्रकार रहे कि उन्हें वे सफल करके राजपथ पर आगे बढ़ते ही जा रहे थे किंतु समूचे राष्ट्र को लथपथ कर रहे थे और कर रहे हैं। ‘यूथेन्स न्यूज’ अपने संपादकीय में लगातार इन मुद्दों को समय-समय पर उठाता रहे है जो सत्य साबित होते चले गए इन्हें हम आपकी जानकारी के लिए सिलसिलेवार बता रहे हैं।

विदेश पर किया भरोसा देश हुआ पराया (22 अगस्त 2015)

इस आलेख में प्रधानमंत्रीजी ने किस प्रकार देश की समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर विदेशियों की तरफ अपने कदम को बढ़ाया और देश की बजाए उनका ध्यान विश्व विजेता बनने पर विशेष देखा गया, इन्हीं बातों पर इस सम्पादकीय में ध्यान आकर्षित किया गया। (आर्टिकल पढने के लिए आर्टिकल की हैडिंग पर क्लिक करें )

प्रधानमंत्रीजी क्या 36 इंच का सीना 56 इंच का हो सकता है? (29 सितंबर 2015)

इस आलेख में उपर्युक्त बात पर ध्यान आकर्षित किया गया और प्रधानमंत्रीजी से पूछा गया कि जिस प्रकार उनका सीना विजय होकर 36 इंच से 56 इंच का हुआ क्या उनके कार्यों से देश का सीना भी 56 इंच का होगा ?

असहिष्णुता का बढ़ता दानव क्या सरकार द्वारा प्रायोजित है? (25 नवंबर 2015)

देश में पैदा हो रहे हालात को मद्देनज़र जिस प्रकार असहिष्णुता पूरे देश में फैल रही थी उसकी शक की सुई सरकार पर ज़्यादा दिखलाई पड़ रही थी, इसी बात का अंदेशा आलेख में है।

माय बाप सरकार, छोटे मुद्दों पर ज़्यादा आक्रामक (21 फरवरी 2016)

लगातार सामने आ रहे छोटे-छोटे मुद्दों और उन पर आ रही प्रतिक्रियाओं पर सरकार उनको सुलझाने के बजाए ज़्यादा आक्रामक दिखाई दे रही थी। यह उनकी कार्य पद्धति को बता रही थी।

गरीब की या कार्पोरेट की सरकार (10 मार्च 2016)

एफडीआई 100 प्रतिशत- अब घर की मुर्गी दाल बराबर (28 जून 2016)

जिस प्रकार सरकार एक के बाद एक ऐसे निर्णय ले रही थी जिससे समूचा फायदा अमीर घराने को, कार्पोरेट को मिल रहा था और गरीब की झोली खाली हो रही थी। सरकार किसकी है ये बताने की कोशिश इसी आलेख में की गई।

आम आदमी की कमर तोड़ देगा मोदी का दंभ (9 नवंबर 2016)

मोदीजी का सबसे बड़ा तहलका ला देने वाला निर्णय, जिस पर यूथेन्स न्यूज ने तुरंत अपने संपादकीय में इसे ‘मोदी का दंभ’ बताकर एक गलत निर्णय करार दिया था और जो भी कारण और उसके परिणाम बताए गए थे, अक्षर सः अक्षर सत्य साबित हुए। इसे अवश्य पढ़ें।

लोग तो धन कमाना चाहते हैं काला या सफेद तो सरकार का खेल हैं (16 दिसंबर 2016)

कालाधन-सफेद धन के नाम पर संपूर्ण देश में हाहाकार मचाया गया। ऐसा लगने लगा मानो देश चोर और काला धन रखने वालों का है. जिन्होंने उनको चुना उन्हीं पर उन्होंने शंका की सुई उठाई। क्या काला धन, क्या सफेद धन ये बता रहा है ये आलेख।

‘मोदी युग’ में प्रवेश के लिए तैयार हो जाए (20 दिसंबर 2016)

इस दिनांक तक मोदीजी द्वारा जो भी निर्णय लिए गए, जिस भी प्रकार से निर्णय लिए गए ये सभी एक लंबे ‘मोदी युग’ की  ओर इशारा कर रहे थे । यह बताने का प्रयास इस आलेख में किया गया है।

अर्थव्यवस्था को रिवर्स गियर लगा बैठी अपरिपक्व सरकार (9 दिसंबर 2016)

जिस प्रकार पिछले सभी संपादकीय लेखों में अंदेशा जाहिर किया गया था जो अर्थव्यवस्था के लिए कितना खतरनाक होगा, वही अंदेशा समय दर समय सही साबित हुआ। इस आलेख में देश के इस दर्द को स्थान दिया गया है।

कैश v/s कैशलेस : क्या खत्म हो पाएगा कालाधन? (13 दिसंबर 2016)

नोटबंदी, कालाधन-सफेद धन में उलझती और असफल सरकार ने लोगों का ध्यान बांटने के लिए कैश v/s कैशलेस का नया गेम खेला। जैसे इसके होते ही जादू की तरह अर्थव्यवस्था से कालाधन, भ्रष्टाचार जैसी समस्या हल हो जाएगी। यह आलेख इसी बात पर अंदेशा जता रहा था और यह भी अन्य मुद्दों की तरह सही साबित हुआ।

हैवानियत के नंगे नाच पर 56 इंच का सीना कब खुलेगा (2 मई 2017)

लगातार भारतीय सेना पर हो रहे हमले और हैवानियत पर सरकार द्वारा पूर्ववत् सरकारों की तरह ही सिर्फ शब्दों के बाण छोड़े जा रहे थे। प्रधानमंत्रीजी भी 56 इंच का सीना लिए देश को, देशवासियों को लगातार झटके दे रहे थे किंतु सेना पर हो रहे हमलों पर उनकी विवशता का कारण समझ से परे था जबकि वे 36-56 इंच पर उलझे पड़े थे और देश यह उम्मीद लगाए बैठा था कि मोदीजी कुछ तो करेंगे। सिर्फ दहाड़ेंगे नहीं उनका एक्शन भी दिखलाई पड़ेगा।

जीएसटी का बवाल देश बेहाल, सरकार मालामाल (1 जुलाई 2017)

लगातार सरकार के द्वारा मिल रहे झटकों का असर अभी चल ही रहा था कि सरकार द्वारा फिर एक झटका जनता को दे दिया गया – जीएसटी नाम का। यूथेन्स न्यूज द्वारा इस पर भी स्पष्ट शब्दों में विवेचना कर लिखा गया। इस में जो लिखा गया उसे अनुभव भी कर रहे हैं।

ए गेम ऑफ बिहार सरकार, फिर हुई जनता की हार (28 जुलाई 2017)

जनता द्वारा चुनाव में जो भी मेंडेट दिया गया उसे नकार कर सरकार किस प्रकार अपने फायदे का बना लेती है और जनता देखती रह जाती है, यही था ‘ए गेम ऑफ बिहार सरकार’ जो मोदीजी की एक और विजय गाथा लिख रहा था।

नोटबंदी से देश हारा किंतु सरकार जीत गई (9 सितंबर 2017)

जैसा कि यूथेन्स न्यूज ने नोटबंदी के तत्काल बाद अपने एडीटोरियल में लिखा था और अंदेशा जताया था वह अक्षर सः अक्षर सही साबित हुआ जब नोटबंदी पर रिपोर्ट का खुलासा हुआ। इस पूरे ऐपीसोड में किस प्रकार देश-जनता हारी और सरकार विजयी हुई, यह बताया गया।

हमारे द्वारा समय-समय पर स्पष्ट सच से, बगैर लाग-लपेट के देश व जनता हित में निर्णयों की विवेचना की गई और वे सभी सही साबित हुई। यह हमारी विश्वसनीयता को साबित करती है। यूथेन्स न्यूज ना सिर्फ सरकार के खिलाफ अपितु विपक्ष के खिलाफ भी उतनी ही पैनी कलम चलाता है जिन्हें आप हमारे एडिटोरियल में पढ़ सकते हैं।

उपरोक्त् सभी एडीटोरियल को एक साथ लाकर हम सरकार और उनके कार्यों की मंशा और तरीका बताने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार किसी तानाशाही रवैये की तरह कार्य पद्धति अपना रही है। आवाज उठाने वाले की आवाज को भी बलपूर्वक दबा दिया जाता हैं जोकि देश हित में खतरनाक साबित होने वाला है। जनता ही एक मात्र वह हथियार है जो सरकार को सही रास्ते पर ला सकती है ताकि देश का विकास, देशवासियों का विकास हो सके अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। जय हिंद।

 

Sponsored



Follow Us

Yop Polls

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही जानकारी पर आपका क्या नज़रिया है?

    Young Blogger

    Dont miss

    Loading…

    Subscribe

    यूथ से जुड़ी इंट्रेस्टिंग ख़बरें पाने के लिए सब्सक्राइब करें

    Subscribe

    Categories