ग्रेजुएट कैंडिडेट को हराकर 94 साल की महिला बनी सरपंच
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किसी भी व्यक्ति के काम से रिटायर होने की क्या उम्र हो सकती है? 60, 70 या फिर 80 साल। उम्र के इस पड़ाव में हर इंसान रिटायरमेंट ले ही लेता है लेकिन शायद ही कोई ऐसा हो जो 94 साल की उम्र में भी काम करने का जज़्बा रखता हो। हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसी महिला की कहानी जिसने उम्र के आखिरी पड़ाव में यानी बुढ़ापे में भी वो कर दिखाया है जो शायद ही कोई सोच सके। 94 साल की गंगुबाई ने भी 94 साल की उम्र में वो कर दिखाया है जिसकी वजह से वो सुर्खियों में है…
94 साल की गंगूबाई निवरूत्ति ने अपने गांव का सरपंच का चुनाव जीता है। गंगूबाई पुणे जिले के खेड़ तालुका के बंबुरवाड़ी गांव की सरपंच बनी है। पुणे के कलेक्टर का कहना है कि इस पूरे जिले में अभी तक इतनी उम्र का कोई भी सरपंच नहीं बना है।
किसानों की करेंगी मदद
सरपंच बनने के बाद उनका कहना हैं कि ‘‘अब उनके काम करने का समय आ चुका है। वे सबसे पहले कम से कम सात गांवों के 250 किसानों की मदद करना चाहती है। किसानों के पास लगभग 1000 एकड़ ज़मीन है पर यहां आठ महीनों तक पानी की कमी रहती है ऐसे में में फसल का उत्पादन ठीक से नहीं कर पाते।’’
मोदी से लेंगी मदद
गंगुबाई का कहना है कि उन्हें सबसे पहले गांव में पानी की व्यवस्था करना है यहां पर नहर तो है पर वो किसानों के खेतों से दो किमी दूर है। उन्हें इससे एक बूंद पानी भी नहीं मिल पाता। इस बात को लेकर उन्होंने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा हैं कि यहां के चासकमान डेम से किसानों के खेतों तक पाइपलाइन बिछाई जाए जिससे किसानों को खेती के लिए पर्याप्त पानी मिल पाए।
क्या मोदी मदद करेंगे
जब गंगुबाई से पूछा गया कि क्या पीएम मोदी उनकी मदद करेंगे तो उनका कहना था कि क्यों नहीं करेंगे, वो मेरे बेटे जैसे है मेरे सबसे बड़े बेटे की उम्र 66 साल है। पीएम मोदी भी इसी उम्र के है। मुझे यकीन है कि मेरी और किसानों की आवाज़ उन तक जरूर पहुंचेगी।
ग्रेजुएट महिला को हराकर जीता चुनाव
गंगुबाई ने सिर्फ 50 वोट के अंतर से ये चुनाव जीता है लेकिन आश्चर्य करने वाली बात ये है कि उनके विपक्ष में चुनाव लड़ने वाली महिला ग्रेजुएट थी और पॉलिटिकल फैमेली से थी। ऐसे में गंगुबाई का ये चुनाव जीतना सभी को आश्चर्य करने वाला है। गंगुबाई तो कभी स्कूल भी नहीं गई, उनका कहना है कि उन्हें पढ़ना भी नहीं आता है। उन्होंने जब चुनाव जीता और डॉक्यूमेंटेशन हुआ तो उन्होंने अपने हस्ताक्षर की जगह पर अंगूठा लगाया।
इस उम्र में भी रहती है फिट
गंगुबाई 95 साल की उम्र में भी फिट रहती है। वे बताती है कि वे सुबह 5 बजे उठती है और घर के काम करती है। उनका कहना है कि वे कभी बीमार नहीं पड़ती और ना ही कभी दवाईयाँ लेती है। वे दिन में दो बार खाना खाती है। वे काम करने पर न धूप देखती है और न ही बारिश देखती है बस ईमानदारी और लगन से अपना काम करती है।
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