इंडियन आर्मी पर खर्च बेहिसाब, फिर भी वो हो जाती है, लाचार क्यों?
भारतीय सैनिक इन दिनों कभी पत्थरों कि बौछार झेल रहे हैं, तो कभी नक्सली हमले में अपनी जिंदगी राख कर रहे हैं, तो कभी पठानकोट में इन्हें जान गवांनी पड़ती हैं, तो कभी सीजफायर के उल्लंघन में ये हजारों बार मर मिटे हैं। घटना कोई भी हो सैनिकों के हालात हम सभी से छुपे नहीं है, हाल ही में स्टॉकहोम इंटरेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से लिस्ट जारी कि गई है, जिसमें मिलिट्री पर सबसे ज्याद खर्च करने वाले देश में भारत का नाम पांचवे स्थान पर आया हैं। टॉप 5 में शामिल होना अपने आप में गर्व की बात है। पर सवाल ये हैं कि, जब इंडियन मिलिट्री पर इतना खर्चा हो रहा है तो आखिर क्यों वो इतनी लाचार हो गई हैं ? क्यों उसे इस तरह की परेशानियां झेलनी पड़ रही है? सरकार कितना ही खर्च कर लें आर्मी पर लेकिन वे उन्हें अपने हक के लिए लड़ने की आजादी नहीं देगी तो हर खर्च बेनामी ही होगा। आज भारतीय सेना राजनीति के जाल में फंस कर रह गई है। हकीकत से परे है आर्मी की ये सच्चाई। फिलहाल स्टॉकहोम कि इस लिस्ट में कौन सा देश अव्वल है, बतातें हैं आपको-
मिलिट्री पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देशों में भारत का नाम पांचवे स्थान पर हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से आंकड़े जारी किए गए हैं। जिसके अनुसार 2016 में भारत का मिलिट्री खर्च सबसे ज्यादा हुआ है। हालांकि इंडियन आर्मी की सच्चाई कुछ और ही हैं। भारत के सैनिक हर महत्वपूर्ण कदम लेने के लिए तैयार है।उनमे इतनी ताकत, इतना जोश है कि वे हर कठिन लड़ाई को लड़ने से पीछे नहीं भागते हैं। फिर भी वे क्यों बंधकर रह गए हैं? इस सवाल का जवाब हम सभी को आर्मी को देना ही होगा। स्टॉकहोम के ये आंकड़े इंडियन मिलिट्री को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि ये उनके लिए उपलब्धि है या अपयश ?
अमेरिका शीर्ष पर
मिलिट्री पर खर्च करने में अमेरिका का नाम अभी भी सबसे टॉप पर है। ये देश दुनिया का सबसे बड़ा देश बना हुआ है, 2016 में अमेरिका ने अपनी मिलिट्री पर 611 अरब डॉलर खर्च किए है। 2015 के मुकाबले 2016 में अमेरिका ने मिलिट्री खर्च में 1.7 फीसदी की बढ़ोत्तरी की थी। हाल ही में अमेरिका ने अपना गैर परमाणु बम प्रयोग कर अपनी मिलिट्री ताकत को बयां भी किया हैं।
दूसरे नंबर पर चीन
चीन अपनी मिलिट्री पर सबसे ज्याद खर्च करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर है, भारत से 4 गुना ज्यादा ये अपनी सेना पर खर्च करता है। चीन शस्त्र और परमाणु बम की संख्या में भी आगे है। जानकारों के अनुसार चीन के पास बड़े से बड़े बम है। चीन ने पिछले साल अपनी मिलिट्री पर करीब 215 अरब डॉलर खर्च किए। एसआईपीआरआई के अनुसार 2016 में चीन का मिलिट्री पर खर्च 5.4 फीसदी बढ़ा है।
रुस तीसरे नंबर पर
आंकड़ों के अनुसार अमेरिका और चीन के बाद रुस मिलिट्री पर खर्च करने वालों देशों में तीसरे स्थान पर है। रुस ने सऊदी अरब को पीछे छोड़कर यह पोजीशन हासिल की है। 2016 में मिलिट्री पर चीन ने 69.2 अरब डॉलर खर्च किए है। 2015 के मुकाबले 2016 में रुस ने मिलिट्री खर्च में 5.9 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है। रुस के प्रेसिडेंट ने 2011 में मिलिट्री मॉर्डनाइजेशन पर 2025 तक 20 लाख करोड़ रुबल खर्च करने का प्लान पेश किया था।
चौथे स्थान पर सऊदी अरब
स्टॉकहोम की लिस्ट में सऊदी अरब चौथे स्थान पर है,जो अपनी मिलिट्री पर सबसे ज्यादा खर्च करता है। 2015 में ये देश तीसरे स्थान पर था। 2016 में रुस से पिछड़ कर ये चौथे नंबर पर आ गया। पिछले साल सऊदी अरब ने अपनी सेना पर 30 फीसदी कम 63.7 अरब डॉलर खर्च किए हैं। कई रीजनल वार में शामिल होने के बावजूद सऊदी अरब ने मिलिट्री खर्च कम करने का फैसला किया।
पांचवे स्थान पर भारत
एसआईपीआरआई के आंकड़ों के अनुसार भारत अपनी मिलिट्री पर खर्च करने वाले देशों में पाचंवे स्थान पर है। 2016 में भारत का मिलिट्री खर्च 55.9(करीब 3.68 लाख करोड़ रुपए) रहा।
पाकिस्तान का नाम किसी नंबर पर नहीं
स्टॉकहोम की इस लिस्ट में टॉप 15 में भी पाकिस्तान का नाम नहीं है। पाकिस्तान ने पिछले साल मिलिट्री पर 9.93 अरब डॉलर खर्च किए। टॉप 15 देशों में जापान, आस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया जैसे देशों के नाम भी शामिल हैं।
इस लिस्ट के जारी होने के बाद अन्य देशों में खुशी का माहौल है, पर इंडियन आर्मी के लिए इस लिस्ट ने बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। आंकड़ों को उपलब्धि तभी माना जाएगा जब ये सच्चाई से मेल खाता हो। नहीं तो इस तरह की जाने कितनी ही तरक्की देश कर ले, वो बस नाम के लिए होगी। हकीकत उनसे कोसो दूर होगी। भारतीय सेना एक्शन लेने के लिए तैयार है,ये हम सभी जानते हैं, बस इंतजार है, तो उन राजनीतिक बेड़ियों के खुलने का जो उन्हें बांधे रखी है। वक्त आ गया है कि, आर्मी को अपना काम अपने अंदाज में करने दिया जाए , नहीं तो इस लाचारी से हमारी बेस्ट आर्मी, वेस्ट में जान गवांती रहेगी।
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