असम में खिला पहली बार कमल
असम आजादी के बाद से कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां पर आजादी के बाद से ही कांग्रेस का शासन चला है। भाजपा की इस बार असम में जीत वाकई में चमत्कारी जीत है। क्योंकि इतने दिनों से जहां कांग्रेस का राज चलता हो वहां पर बीजेपी की इतनी बड़ी जीत होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। कांग्रेस के लिए ये हार एक बड़े झटके के रूप में साबित हुई है। इस हार से कांग्रेस को काफी फर्क पड़ने वाला है। भले ही अभी असम में भाजपा संवैधानिक तौर पर नहीं जीती है पर चुनाव के नतीजे इसी ओर संकेत कर रहे हैं कि भाजपा यहां पर इतिहास रचने वाली है। बीजेपी ने पिछले तीन बार से असम की सत्ता पर काबिज कांग्रेस को हराते हुए पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार माने जाने वाले राज्य असम में सत्ता हासिल कर ली है।
अगर आंकड़ो को उठा के देखा जाए तो आजादी के बाद से ही असम में कांग्रेस का राज चलता आ रहा है यहां पर बिना किसी मेहनत के कांग्रेस अब तक जीतती आ रही थी। बीजेपी और अन्य कोई पार्टी यहां पर अपना स्थान नहीं बना पा रही थी। लेकिन विधानसभा 2016 के चुनावों ने इस बार साफ कर दिया कि बीजेपी और मोदी सरकार के लिए देश के लोग क्या सोचते हैं और क्या चाहते हैं। पिछले सालों में भले ही कांग्रेस ने असम की जनता का दिल जीता हो लेकिन इस बार भाजपा ही असम में सरकार बना पाने में सफल हुई है।
असम में आजादी के बाद से कांग्रेस 13 बार अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो पाई है। इस बार असम में ये 14 वें विधानसभा चुनाव हुए हैं। इस चुनाव से पहले तरूण गोगोई असम के मुख्यमंत्री थे जो कांग्रेस के नेता हैं। 2011 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बोडोलेंड पीपुल्स फ्रंट के साथ मिलकर मिलीजुली सरकार बनाई थी जिसमें 126 सीटों में से 78 सीटें कांग्रेस को मिली थीं और 11 बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट की थीं। 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस का पंजा ही चला लेकिन 2016 में हुए इस चुनाव ने विधानसभा की तस्वीर बदल कर रख दी।
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