ओशो से न मिले होते तो विनोद खन्ना बन जाते ‘महानायक’
पिता ने तान दी बंदूक
विनोद खन्ना के लिए फिल्मों में आना इतना आसान भी नहीं था। उनके पिता एक बिजनेसमैन थे और चाहते थे कि उनका बेटा भी बिजनेस ही करे। लेकिन जब विनोद को फिल्म का ऑफर मिला और उन्होंने घर पर पिता को बताया तब उनके पिता ने उन्हें बहुत डांटा और उन पर बंदूक तानकर कहा कि ‘‘अगर तुम फिल्मों में गए तो तुम्हें गोली मार दूंगा।’’ बाद में विनोद खन्ना की माँ के समझाने के बाद उनके पिता ने दो साल तक फिल्म इंडस्ट्री में काम करने की इज़ाजत दे दी। लेकिन साथ ही ये भी कहा कि ‘‘अगर दो साल में तुम सफल नहीं हुए तो तुम्हें घर के बिजनेस में हाथ बंटाना पड़ेगा।’’
पहली फिल्म में ही हुए हिट
विनोद खन्ना को अभी हम लीड एक्टर के रूप में जानते हैं लेकिन अपने करियर के शुरूआती दिनों में उन्होंने विलेन के रोल निभाए थे। उनकी पहली फिल्म ‘मन का मीत’ 1968 में रिलीज़ हुई थी। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी। इस फिल्म में विनोद कुमार की एक्टिंग को काफी सराहा गया। इसके बाद वे कई फिल्मो में बतौर विलेन ही काम करने लगे।
गुलज़ार ने बनाया हीरो
विनोद खन्ना ने अपने करियर की शुरूआत विलेन के रूप में कर तो ली थी। लेकिन वे दिखने में काफी हैंडसम थे। उन्हें हीरो के रूप में फिल्मी पर्दे पर आना चाहिए था। लेकिन जिस दौर में वे एक्टिंग कर रहे थे उस दौर में अगर कोई एक्टर विलेन बनकर आ गया तो उसे ज़िन्दगी भर विलेन ही बनना पड़ता था। उस समय उन्हें एक लीड हीरो के रूप में पहचान दिलाई गुलज़ार ने। गुलज़ार उन दिनों अपने निर्देशन करियर की शुरूआत ही कर रहे थे। उन्होंने अपनी फिल्म ‘मेरे अपने’ के लिए विनोद खन्ना को चुना। छात्र राजनीति पर आधारित इस फिल्म में मीना कुमारी ने अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद उनका करियर हीरो के रूप में चल पड़ा। वे एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में देने लगे।
अमिताभ को दी थी टक्कर
विनोद खन्ना अपने करियर में आगे बढ़ रहे थे और एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में दे रहे थे। लेकिन उनकी अधिकतर फिल्में किसी न किसी हीरो के साथ होती थी। उस समय अमिताभ बड़े फेमस थे और एंग्री यंग मैन की भूमिका में वे लोगों के दिलों में छा रहे थे। वहीं दूसरी ओर विनोद खन्ना भी बॉलीवुड में छा रहे थे। उन दिनों अखबारों में इन दोनों के बीच काफी प्रतिस्पर्धा रहती थी। इन दोनों को एक दूसरे का प्रतिद्वंदी कहा जाता था। इन दोनों में उस समय प्रतिस्पर्धा का माहौल तो था ही लेकिन विनोद खन्ना ने अमिताभ के साथ फिल्में करके अपने अभिनय को साबित किया। उन्होंने अमिताभ के साथ ‘अमर अकबर एंथॉनी’, ’परवरिश’ जैसी फिल्में कीं जिनमें वे अमिताभ को टक्कर देते नज़र आए। नेक्सट पेज पर पढ़ें-बॉलीवुड से ऐसे लिया सन्यास
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