सूरजपुर : राष्ट्रीय संगोष्ठी में सूरजपुर जिले के प्राचीन सिक्के की गुंज
संचालनाय संस्कृति एवं पुरातत्व छत्तीसगढ़ शासन रायपुर द्वारा आयेाजित 3 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में सरगुजा अंचल से अजय कुमार चतुर्वेदी को आमंत्रित किया गया था। संगोष्ठी का विषय -छत्तीसगढ़ के प्राचीन सिक्के, मुद्रायें, एवं मुहर तकनीक , वितरण और भारतीय इतिहास में महत्व रखा गया है।
जिला पुरातत्व संघ सूरजपुर के अध्यक्ष एवं कलेक्टर जी.आर.. चुरेन्द्र के आदेशानुसार राष्ट्रीय संगोष्ठी में 16 सितम्बर से 18 सितम्बर 2016 तक संघ के सदस्य अजय कुमार चतुर्वेदी ने शामिल होकर अपना शोध पत्र ’’ छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से प्राप्त सिक्के और उसका इतिहास में महत्व ’’ विषय के अंतर्गत सूरजपुर जिले से मिले ब्रिटिश कालीन महारानी विक्टोरिया के समय के और मुगल कालीन सिक्कों पर विस्तार से प्रकाश डाला। 14 जुलाई 2016 को जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर ग्राम पंडरी में फूलसाय राजवाडे की पुस्तैनी जमीन पर उसका भतीजा सूरजप्रताप राजवाडे को खेत की जुताई के समय हल के नास में फंसकर कांसे की हांडी मिली जिसमें ब्रिटिश कालीन (1757-1947) महारनी विक्टोरिया के समय के 255 चंादी के सिक्के मिले। सिक्कों में एक तरफ 1862 और भारत लिखा हुआ था। सिक्के के दूसरी तरफ महारानी विक्टोरिया के छायाचित्र बने हुए थे। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर तहसील मुख्यालय के लगभग 5 किलेामीटर की दूरी पर शिवपुर ग्राम है। शिवपुर तुर्रा के ठीक उपर पहाडी पर कोडाकू जनजाति की बस्ती है। इस बस्ती में सन् 2007 में खेत जुताई के समय तांबे के सिक्कों से भरा एक घडा मिला था। इन सिक्कों को जिला मुख्यालय अंबिकापुर में दिल्ली से आई पाण्डु लिपि सर्वेक्षण टीम ने इन सिक्को केा मुगल कालीन और फारसी लिपि में लिखा हुआ बताया था।
अजय चतुर्वेदी ने बताया कि प्राचीन भारत का इतिहास -झा और श्रीमाली के पुस्तक में लिखा कि पुरातात्विक सामग्री और इतिहास लेखन में सिक्कों का स्थान अत्यंत महत्वपूण है। सिक्के यदि एक स्थान में बडी मात्रा में मिले तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सिक्कों के प्राप्ति स्थान पर उस शासक के राज्य का भाग था। सिक्कों पर उत्कृष्ठ तिथि से उसका राज्यकाल का पता चलता है।सिक्के के पृष्ठ भाग पर देवता की आकृति से शासक के धार्मिक विचार जाने जाते है। 3 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर से पधारे विद्वानों ने सूरजपुर जिले से मिले ब्रिटिश कालीन और मुगल कालीन सिक्कों पर विस्तार से चर्चायें की । राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक अजय कुमार चतुर्वेदी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरहरी मे कार्यरत है।