PoK से होकर गुजरेगा CPEC शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट, भारत के लिए नाम बदलने को तैयार
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक पर भारत के रूख के आगे चीन झुकता नजर आ रहा है. इसी के साथ चीन ने प्राजेक्ट का नाम बदलने पर भी सहमति जताई है.चीन ने स्पष्ट रूप से कहा कि उसका भारत-पाकिस्तान विवाद में शामिल होने का कोई ईरादा नहीं है. हम कॉरिडोर का नाम भी बदल सकते हैं.
भारत में चीन के राजदूत लुओ झाआहुईने कहा, ‘‘पाक के कब्जे वाले कश्मीर पीओके से गुजरने वाले इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर चीन भारत के साथ है. यहां तक कि चीन उस प्रोजेक्ट का नाम बदलने को भी तैयार है. चीन भारत के हितों को ध्यान में रखता है. पाक से उसके विवाद का हिस्सा बनने का उसका कोई इरादा नहीं है.’’
CPEC, PoK से होकर गुजरेगा. इसके चलते भारत असहमति जता रहा है, साथ ही भारत चीन के 46 अरब डॉलर की लागत वाले वन बेल्ट-वन रोड प्रोजेक्ट का भी भारत विरोध करता आया है. यह प्रोजेक्ट चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है.
सीपीइसी से चीन को क्या है फायदे?
इकॉनामिक कॉरिडोर के जरिए चीन अरब सागर और हिंद महासागर में पैठ बनाना चाहता है र्ग्वादर पोर्ट पर नेवी ठिकाना होने से चीन अपने बेडे़ की रिपेयरिंग और मेंटेंनेंस के लिए भी ग्वादर पोर्ट का इस्तेमाल कर सकेगा. ग्वादर चीन के नेवी मिशन के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. इस कॉरिडोर से चीन तक क्रूड ऑयल की पहुंच आसान हो जाएगी. चीन अम्पोर्ट होने वाला 80 प्रतिशत मल्लका की खाड़ी तक पहुंचता है. अभी करीब 16 हजार कि.मी. का रास्ता है. लकिन सीपीइसी से ये दूरी 5 हजार किमी घट जाएगी.
चीन का प्रपोजल
भारत से रिश्तों में सुधार के लिए चीन ने 4 प्रपोजल दिए हैं, जिसमें ओबीओआर प्रोजेक्ट भारत की एक्ट पॉलिसी से मिलाने और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर फिर से बातचीत करना शामिल है. प्रपोजल के झाओहुई ने आगे बढाया है, जिसमें चीनी-भारत ट्रीटी ऑफ गुड नेबरलाइनेस एंड फ्रेंडली को-ऑपरेशन पर बातचीत शुरू करना और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का जल्द हल तलाशने के लिए प्रायोरिटी तय करना शामिल है.
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