31 अगस्त : आज ही के दिन हुई थी बेअंत सिंह की हत्या
31 अगस्त पंजाब के लिए वो काला दिन था जिस दिन पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की मौत हुई थी। बेअंत सिंह हत्याकांड के मास्टरमाइंड जगतार सिंह तारा ने उनकी हत्या की साजिश रची थी और 31 अगस्त के दिन मानव बम के जरिए उनकी हत्या कर दी गई थी। इस ब्लास्ट में 17 अन्य लोगों की भी मौत हुई थी। खालिस्तान लिब्रेशन फोर्स के दिलवार सिंह बब्बर ने यह आत्मघाती हमला किया था। इसके अलावा हत्याकांड में दोषी पाए गए बलवंत सिंह राजोआना को पटियाला जेल में 31 मार्च 2012 को फांसी देने के वारंट अदालत ने जारी किए थे।
करना चाहते थे देश की सेवा
बेअंत सिंह 1992 से लेकर 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 23 साल की उम्र में आर्मी ज्वॉइन की थी लेकिन वे राजनीति में जाकर देश के लिए कुछ करना चाहते थे इसलिए उन्होंने आर्मी छोड़ दी।
राजनीति में प्रवेश
1947 में भारत-पाक के बंटवारे के बाद बेअंत ने पंजाब की राजनीति में प्रवेश किया। 1960 में वे लुधियाना के दोराहा के ब्लॉक समिति के अध्यक्ष चुने गए। लुधियाना के केंद्रीय सहकारी बैंक में निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं देने के बाद बेअंत ने 1969 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधानसभा में प्रवेश लिया। इसके बाद वे 1992 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। बेअंत सिंह के कार्यकाल के दौरान ही पंजाब ने उग्रवाद देखा। उस समय खालिस्तान आंदोलन कमजोर पड़ रहा था और सरकार ने ये तर्क देकर कई खालिस्तान समर्थक उग्रवादियों को जबरदस्ती कुचल दिया था कि उन्होंने मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है।
बेअंत सिंह और खालिस्तान समर्थक
रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि उस दौरान फर्जी मुठभेड़ में लगभग 25000 लोग मारे गए और कुछ का अपहरण कर लिया गया। इस बात से खालिस्तान लिब्रेशन नाराज हो गया कि उनके ही धर्म के बेअंत सिंह के सत्ता में रहते हुए सिखों के साथ ऐसा अन्याय हुआ है। बेअंत सिंह के खिलाफ खालिस्तान समर्थकों में इतनी नफरत पैदा हो गई कि उन्होंने उनकी हत्या की साजिश रच डाली। खालिस्तान सर्मथक ये बिल्कुल नहीं चाहते थे कि बेअंत सत्ता में रहते हुए केंद्र की बात सुनें। इसके चलते खालिस्तान समर्थकों ने उनकी हत्या की साजिश को अंजाम दिया।
बेअंत सिंह के प्रति नफरत इनके दिलों में इस कदर घर कर गई थी कि इन्होंने बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना को ज़िंदा शहीद का दर्जा दे दिया। अब भी ये खालिस्तान समर्थक सक्रिय हैं। इनके द्वारा संचालित वेबसाइट इस बात का प्रमाण है कि आज नहीं तो कल एक बार फिर खालिस्तान आंदोलन अपना सिर उठा सकता है।