50 पैसे में बनाता था 5 रूपए का नकली सिक्का, ऐसे पहचाने असली सिक्के
नोटबंदी के बाद से कई लोग 2000 रूपए के नोट की कलर फोटोकॉपी करके चलाते हुए पकड़ाए थे लेकिन अब एक नया ही मामला सामने आया है जिसमें नकली सिक्के बनाने का मामला सामने आया है। उदयपुर में एक मशीन की मदद से 50 पैसे की लागत से 5 रूपए का सिक्का बनाया जा रहा था और इसे धड़ल्ले से मार्केट में चलाया भी जा रहा था।
पुलिस के मुताबिक आरोपी ने पिछले 11 महीने में 5 लाख रूपए से ज़्यादा के सिक्के टोल नाकों सहित अन्य स्थानों पर फुटकर राशि के नाम पर वितरित कर चुका है। आपको बता दें कि यह आरोपी एक सिक्के पर साढ़े चार रूपए का मुनाफा कमाता था। पुलिस ने बताया कि ललित सोनी ने शिवलाल सोनी के साथ मिलकर राजकोट से सिक्के बनाने वाली 11 टन की यह मशीन 2 लाख 93 हजार रूपए में खरीद कर लाई थी।
इसे ललित के घर में लगाने के बाद शिवालाल सोनी पांच रूपए का सिक्के की छाप बनाने वाली डाई और कच्चा माल लेकर आया था। इस माल से यहां पांच रूपए का सिक्के की छाप बनाने वाली डाई और कच्चा माल लेकर आया था। इस माल से यहां पांच रूपए के नकली सिक्के बनाए जाते थे। शिवाला सोनी और सौरभ जैन दस-दस किलो सिक्के थैले में भरकर ले जाते थे और टोल नाकों और बाज़ारों में फुटकर राशिक के नाम से सिक्के बेच बाजार में डिस्ट्रिब्यूट कर देते थे।
ऐसे होता था मुनाफा
इंडिया पैसा पर छपी खबर के मुताबिक थाना अधिकारी राजेंद्र सिंह जैन ने बताया कि आरोपियों को एक सिक्के की लागत 50 पैसे आती थी। ऐसे में पांच का सिक्का बाजार में चलाने पर उन्हें कम से कम साढ़े चार रूपए और अधिकतम पांच रूपए का फायदा हो जाता था। एक सिक्के में पांच ग्राम मेटल लगता था जिस पर ये पॉलिश कर देते थे।
भारत में एक रूपए के नोट और सिक्के छापने का काम सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में किया जाता है । भारत में मुख्य रूप से चार मिंट कारखानें सिक्कों की ढलाई का और एक रूपए के नोट और सिक्योरिटी की छपाई का काम करते है। जो मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा में है।
सिक्कों पर भी कुछ ख़ास पहचान दी होती है जिसकी मदद से आप सिक्का किस शहर की मिंट में बना है आप जान सकते हैं। सिक्कों पर मिंट कारखानों की पहचान के लिए आप सिक्कें के आखिर में देखें जहां आपको एक छोटी सी आकृति मिलेगी। अगर ये आकृति डायमंड की है तो ये मुंबई में बना है, अगर स्टार है तो हैदराबाद, सर्कल है तो नोएडा और अगर कुछ नहीं है तो कोलकाता। मिंटिंग कारखानों में सिक्कों की ढलाई के अलावा, स्मारक सिक्के, पत्रिका, मैडल तथा मोमेंटो, डाक सामग्री, स्टांप पेपर आदि बनाने का काम भी किया जाता है।
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