खत्म होगी बरसों पुरानी परंपरा, जनवरी से शुरू हो सकता है वित्त वर्ष
वित्त वर्ष की बरसों पुरानी परंपरा अब खत्म होने जा रही है। जी हां, भारत में वित्त वर्ष जहां अप्रैल-मार्च की जगह अब जनवरी से दिसंबर के बीच किया जा सकता है। संसद की एक समिति ने समय बदलने की ये सिफारिश की है। बता दें कि वित्त वर्ष की मौजूदा व्यवस्था भारत में 1867 में लागू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के वित्त वर्ष को ब्रिटेन सरकार के वित्त वर्ष के साथ मिलाना था। 1867 से पहले भारत में वित्त वर्ष एक मई से शुरू होता था और अगले साल 30 अप्रैल को खत्म होता था।
कांग्रेस सांसद विरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने बजट पेश करने की तारीख खिसकाने के मामले में जल्दबाजी को लेकर भी आलोचना की थी। समिति ने कहा कि बजट एक महीना पहले पेश किए जाने से पहले अच्छी तैयारी और पर्याप्त जमीनी काम किए जाने थे। रिपोर्ट में कहा गया हैकि – उम्मीद है कि सरकार अगले साल से अच्छी तैयारी करेगी। इस संदर्भ में बाधा को ध्यान में रखते हुए समिति ये सुझाव देगी कि वित्त वर्ष को भी उसी हिसाब से बदलकर कैलेंडर वर्ष कर दिया जाए। गौरतलब है कि सरकार ने बजट संबंधित कार्य 31 मार्च तक पूरा करने के लिए उसे एक महीना पहले पेश करने का फैसला किया, ताकि संबंधित मंत्रालय वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही आबंटित धन खर्च करना शुरू कर सके।
जुलाई से जून तक होता है आरबीआई का वित्त वर्ष-
भारत में सभी बैंकों का वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च के बीच होता है, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का वित्त वर्ष जुलाई से जून के बीच माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आरबीआई एक सुपरवाइजर के तौर पर काम करती है। उसे बैंकों की किताब और रिपोर्ट का विश्लेषण करना होता है, जिसके लिए इसका वित्त वर्ष बैंकों के वित्त वर्ष के तीन महीने बाद शुरू होता है। इन तीन महीने के दौरान आरबीआई को बैंकों की वित्त से संबंधित सभी रिपोर्ट को एनालिस करने का मौका मिल जाता है। यहां तक की आने वाले सालों के लिए प्रपोजल भी तैयार किए जाते हैं, जिसकी रिपोर्ट अगस्त में पब्लिश की जाती है।
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