युवाओं में बढ़ रहा है गांधी की ’खादी’ का क्रेज़
बापू का खादी प्रेम तो जग-जाहिर है। एक ज़माना हुआ करता था जब खादी को केवल बुजुर्गों के लिए परफेक्ट माना जाता था लेकिन अब ज़माना बदल रहा है खादी का जादू युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा है। पहले की अपेक्षा अब खादी कई किस्मों में आने लगी है इसलिए युवा इसे अपने वॉर्डरोब में शामिल करना पसंद कर रहे हैं। इन सबके चलते अब खादी उद्योग भी काफ़ी फल-फूल रहा है।
खादी बाजार और उसके मटेरियल में अब कई तरह के इनोवेशन देखने को मिल रहे हैं। जहां पहले ग्रामीण क्षेत्रों द्वारा सिर्फ खादी के निर्माण पर ही फोकस किया जाता था वहीं अब वे कपड़ों में खुद इनोवेशन करते हैं। वे एक शहर से दूसरे शहरों में जाकर आइडियाज लेते हैं जो खादी के कपड़ों में सुंदर कारीगरी के रूप में देखने को मिलता है।
पहले जहां खादी के कपड़ों को बुजुर्गों के हिसाब से डिज़ाइन किया जाता था वहीं आज खादी को युवाओं की डिमांड के हिसाब से डिजाइन किया जा रहा है। बाज़ार में खादी के कुर्ते, टॉप, शर्ट, सूट, साड़ी आदि देखने को मिल रही है।
बाजार में मिल रही है कई तरह की खादी
बाजार में कई तरह की खादी मिल रही है जैसे सूती खादी, मसलिन खादी, ऊनी खादी, कंबल खादी, रेशम खादी और पॉली खादी।
क्यों पसंद आ रही है युवाओं को खादी
खादी में कई तरह की किस्म होने की वजह से इसकी डिमांड बढ़ी है। इसके अलावा खादी अपनेपन का एहसास करवाती है, शरीर को एलर्जी से दूर रखती है। खादी महंगी जरूर है लेकिन फायदेमंद है।