न भूले अपनी संस्कृति को, जानिए क्यों मनाते है बसंत पंचमी
आज की इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में हम इतने व्यस्त हो चुके हैं कि अपने त्योहारों और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। याद कीजिए कुछ सालों पहले तक हम अपने त्योहारों को लेकर कितने एक्साइटेड रहते थे। लेकिन समय के साथ ये एक्साइटमेंट कम हो गई। वैसे अभी भी ज़्यादा देर नहीं हुई है हम अभी भी अपने त्योहारों को सहेज सकते हैं।
तो चलिए आज आपको बसंत पंचमी के मौके पर बताते हैं कि इस त्योहार को क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कैसे हुई।
प्रकृति के परिवर्तन का उत्सव है ये त्योहार
माना जाता है कि बसंत ऋतु में पेड़ों में नई-नई कोंपलें निकलनी शुरू हो जाती हैं। कई प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सज जाती है। आम में मंजर फूट पड़ते हैं। खेतों में सरसों के पीले फूल की चादर की बिछी होती है। पारम्परिक रूप से यह त्योहार कठिन शीत ऋतु के बीत के जाने और खुशनुमा मौसम आने के रूप में सेलेब्रेट करने का खास दिन है।
पुराणों में वर्णित एक कथा के मुताबिक, बसंत पंचमी को विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें इस दिन पूजे जाने का वरदान दिया था। पारंपरिक रूप से यह त्योहार बच्चे की शिक्षा के लिए काफ़ी शुभ माना गया है। इसलिए देश के अनेक भागों में इस दिन बच्चों की पढाई-लिखाई का श्रीगणेश किया जाता है।
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