साइंस की पढ़ाई छोड़ बने कवि, फिल्मों की तरह बनाते हैं कविता
रोते-हँसते
जैसे बेबात हँसी आ जाती है
हँसते चेहरों को देख कर
जैसे अनायास आँसू आ जाते हैं
रोते चेहरों को देख कर
हँसी और रोने के बीच
काश, कुछ ऐसा होता रिश्ता
कि रोते-रोते हँसी आ जाती
जैसे हँसते-हँसते आँसू !
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