ये हैं देश के असली हीरो हाई पैकेज जॉब छोड़ कर प्रकृति को बचाने में जुटे
4. 4 सालों में 48 जंगल बनाए
शुभंधु शर्मा पेशे से इंजीनियर हैं, जंगल को बचाने के लिए शुभंधु ने अपनी हाई पैकेज जॉब को छोड़ दिया जिसके बाद अफोरेस्ट कंपनी से जुड़े जहां पर यूनिक मियावॉकी मैथडेलॉजी के माध्यम से पेड़-पौधे उगाने की कोशिश की जाती है। इसकी मदद से किसी भी प्रकार की जमीन को सतत विकास (सेल्फ-सस्टेनेबल फोरेस्ट) के रूप में 2 सालों के अंदर उपयोगी बना देते हैं। अभी तक 4 सालों में 48 जंगल बना चुके हैं।
- - Advertisement - -
5. अपने सपने को, गांव बना लिया
मोहन चावरा, मूर्तिकार हैं और उनकी पत्नी रुक्मणि, स्कूल प्रिंसीपल हैं पर इनकी बेटियों ने यह सब छोड़कर जैविक तरीके को अपनाया जिसमें वे अपने लिए घर पर ही सब्जियां उगाते हैं। 14 परिवार के साथ ही उन्होंने अपने सपने को गांव बना लिया है। सब्जियों के साथ ही नमक की उपज भी करते हैं।
6. बंजर जमीन को 1360 एकड़ के जंगल में बदला
जब जाधव मौलाई पेयंग 16 साल के थे तब उसे समझ आ गया था कि यहां पर भारी मात्रा में सर्प मर रहे हैं क्योंकि यहां पर उनके अनुसार पेड़ नहीं हैं, तभी उन्होनें यहां पर बेंबू के पेड़ लगाए। इसके 30 साल बाद वह जमीन 1360 एकड़ में जंगल की तरह बन गई है। आज इस जंगल का नाम ‘‘मौलाई फोरेस्ट” है। इस जंगल में हजारों किस्म के पेड़-पौधे भी हैं साथ ही विविध प्रकार के वन्य जीव भी हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने जाधव को ‘फोरेस्ट मेन ऑफ इंडिया’ के नाम से सम्मानित किया था। वे 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक पुरूस्कार पद्म श्री से भी नवाजे जा चुके हैं|
read also: आदिवासी महिलाओं की जिंदगी के लिए आईबीएम की जॉब छोड़ी
- - Advertisement - -