खेल-कूद कर ’खराब’ नहीं ’नवाब’ बनोगे
आज बच्चे-बच्चे को ये पता है कि वेलेंटाइन डे कब मनाया जाता है। उन्हें ये भी पता है कि वेलेंटाइन डे पूरे एक हफ्ते तक मनाया जाता है और उस हफ्ते में किस दिन, कौन-सा दिन सेलिब्रेट करते हैं। यहां तक कि बच्चों को ये भी याद है कि फ्रैंडशिप डे कब मनाया जाता है, फादर्स डे कब मनाया जाता है, मदर्स डे कब मनाया जाता है। लेकिन अगर किसी बच्चे से पूछा जाए कि भारत में खेल दिवस कब मनाया जाता है तो शायद ही कोई इस बात का जवाब दे पाए। चलिए बच्चों की बात छोड़ भी दें तो बड़े भी इस बात का जवाब नहीं दे पाएंगे।
वजह साफ है। हमारे समाज में बचपन से बच्चों के दिमाग में ये बात भर दी जाती है कि ’पढ़ेंगे-लिखेंगे तो बनेंगे नवाब, खेलेंगे-कूदेंगे तो बनेंगे खराब’। लेकिन कुछ सवाल हमें खुद से पूछने चाहिए कि क्या आज हम रन मशीन कहलाने वाले विराट कोहली को खराब कहेंगे? या फिर विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाली सानिया मिर्जा को खराब कहेंगे? ऐसे नामों की फेहरिस्त काफी लंबी है जिन्होंने खेलकर ही हमारे देश का नाम रोशन किया है। ये विडंबना ही है कि आज यदि विराट कोहली मैदान मे उतरा है तो लोग उसका खेल देखकर तालियां पीटने और सीटियां बजाने के लिए स्टेडियम तो चले जाएंगे लेकिन ये नहीं चाहेंगे कि उनका बच्चा भी विराट कोहली की तरह बने। जब बात अपने बच्चों की आती है तो मानो वही पंक्तियां याद आ जाती हैं कि ’खेलेंगे-कूदेंगे तो बनेंगे खराब’।
खेल के प्रति समाज के इसी रवैये के चलते आलम ये है कि बच्चे आज खेल को वक्त गुज़ारने का एक माध्यम मात्र मानकर बैठे हैं। उन्हें नहीं पता कि खेल दिवस कब मनाया जाता है? खेल का क्या महत्व है? खेल से वे कैसे देश सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं? ऐसे तमाम सवाल हैं जो बच्चों के मन में उठते होंगे लेकिन किसी के पास इतना वक्त नहीं है कि उन सवालों के जवाब दे सकें और देंगे भी कैसे? जाहिर सी बात है जिस बात की जानकारी हमें ही नहीं होगी वह जानकारी हम दूसरों को कैसे दे सकते हैं?
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में दूसरे से आगे निकलने की होड़ बड़ों से लेकर बच्चों पर इस कदर हावी हो रही है कि सभी चेहरों पर उदासी और तनाव छाया रहता है। हर कोई दूसरे से आगे निकलना चाहता है व खुद को श्रेष्ठ दिखाना चाहता है। तकनीक के इस दौर में हम खेलों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं और ये भूल रहे हैं कि ये उन्हीं ध्यानचंद का देश है जिन्होंने देश को ओलंपिक में गोल्ड दिलाकर विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन किया था। आज हम खेल का ही परिचय युवा पीढ़ी से ’खराब’ के रूप में करवा रहे हैं।
ख़ैर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज यानी कि 29 अगस्त को खेल दिवस है। खेल दिवस हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनकी जयंती पर मनाया जाता है। क्रिकेट में जो स्थान डॉन ब्रैडमैन, फुटबॉल में पेले और टेनिस में रॉड लेवर का है, हॉकी में वही स्थान ध्यानचंद का है। ये वही महान खिलाड़ी हैं जिन्होंने हॉकी के इतिहास में सबसे ज्यादा गोल जड़े और विश्व स्तर पर हॉकी को एक नया मुकाम दिलाया।