अब इन लोगों पर होगी आईटी डिपार्टमेंट की नज़र, देना होगी जानकारी
नोटबंदी के बाद से सरकार ने बड़े ट्रांजैक्शन पर कड़ी नज़र रखी थी। उसी कड़ी में अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट एक नया कदम उठा रहा है। लिस्टेड कंपनियों, विभिन्न वित्तीय संस्थाओं और डॉक्टर वकील व आर्किटेक्ट सहित पेशेवरों को 31 मई तक अपने बड़े लेनदेन की जानकारी इनकम टैक्स विभाग को देनी होगी।
हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन में कैश डिपॉजिट, क्रेडिट कार्ड पेमेंट, शेयर बिक्री, प्रॉपर्टी डील, डिबेंचर्स और म्यूचुअल फंड यूनिट सहित अन्य चीजें शामिल हैं। वेतनभोगी व्यक्तियों को नए पेश किए गए स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के तहत यह जानकारी देना जरूरी नहीं है। जिन्घ्हें यह जानकारी देनी हैं उनमें बैंक, पेशेवर, फंड हाउस, फॉरेक्स डीलर, पोस्ट ऑफिस, निधी, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार, बांड या डिबेंचर जारी करने वाली कंपनियां तथा वह सभी लिस्टेड कंपनियां जो विशेल लोगों से शेयर वापस खरीदती हैं।
बहुत से लोग इनकम टैक्स कानून में हुए नए बदलाव से अनभिज्ञ हैं। संशोधित नए कानून के मुताबिक एनुअल इंर्फोमेशन रिटर्न की जगह अ एसएफटी को लागू किया गया है। इस बदलाव से एसएफटी रिटर्न करने वाले एक नए वर्ग पैदा हुआ है, जो पहली बार 2016-17 के लिए इस तरह की जानकारी देंगे।
हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन की प्रकृति में एक साल में डिमांड ड्राफ्ट या पे ऑर्डर के लिए 10 लाख या इससे अधिक का नगद भुगतान, प्री-पेड आरबीआई इंस्ट्रूमेंट खरीदने के लिए 10 लाख या इससे अधिक का नगद भुगतान, करेंट एकाउंट से 50 लाख रुपए या इससे अधिक का नगद जमा या निकासी, बैंक, निधी, एनबीएफसी और पोस्ट ऑफिस में एक बार में 10 लाख या इससे अधिक का जमा, एक साल में क्रेडिट कार्ड के लिए एक लाख या इससे अधिक का नगद भुगतान या अन्य मोड से 10 लाख या इससे अधिक का भुगतान, 30 लाख या इससे अधिक की प्रॉपर्टी खरीदना शामिल हैं। एसएफटी की घोषणा एक अलग से फॉर्म में करनी होगी न कि नियमित इनकम टैक्स रिटर्न के साथ।
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