भाई को पीठ पर बिठाकर जीती आईआईटी में सिलेक्शन की जंग
कहते है कि सच्ची लगन और मेहनत की जाए तो हर चीज हासिल की जा सकती हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है समस्तीपुर के दो भाइयों ने इनके संघर्ष की दास्तां काफी रोचक तथा दर्दभरी हैं। पर इन्होने हाल ही में आईआईटी में सिलेक्शन पाया है। देश की सबसे टफ इंजीनियरिंग एग्जाम आईआईटी में सेलेक्शन होना हर स्टूडेंट के लिए बहुत बड़ी बात है। ऐसे में एक गांव के इन दो भाईयों की मेहनत ने किस तरह इन्हे मुकाम दिलाया जानते है…
बिहार के समस्तीपुर के दो भाई बसंत और कृष्ण दोनो का हाल ही में आईआईटी में सेलेक्शन हुआ हैं। ये दोनो एक छोटे से गांव से है पर ये दोनो भाई एक दूसरे के सहारे भी है। दरअसल, डेढ़ साल की उम्र में पोलियो ने कृष्ण के दोनों पैर छीन लिए, एक हाथ ने भी पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया। कोई और आसरा नहीं था तो कृष्ण स्कूल ही नहीं जा सका। छोटा भाई बसंत स्कूल जाने लगा, तो पीठ पर बैठाकर बड़े भाई को भी ले जाने लगा। सिलसिला 15 साल तक चला। कभी अलग नहीं रहे। कोटा कोचिंग के लिए भी दोनों साथ आए। 3 साल तक यहां भी बसंत पीठ पर बैठाकर कृष्ण को कोचिंग और कमरे तक का सफर कराता रहा। अब दोनों का सिलेक्शन आईआईटी के लिए हो गया है।
किस रैंक पर हुआ सेलेक्शन
कृष्णा और बसंत दोनो ने ही साथ-साथ पढ़ाई की थी। पर कृष्णा को ओबीसी पीडब्ल्यूडी कोटे में अखिल भारतीय स्तर पर 38वीं रैंक और बसंत को 3769वीं रैंक मिली है। हालांकि वे दोनो अपने सेलेक्शन को लेकर काफी खुश है पर उन्हे इस बात का भी दुख है कि अब उन्हे एक दूसरे से दूर रहना पढ़ेगा।
कृष्णा और बसंत दोनो बचपन से ही एक दूसरे के साथ रहे। वे एक दूसरे के बिना कही आते-जाते नहीं। अब उन्हे इसी बात का दुख है कि वे एक दूसरे के बिना कैसे रहेंगे। उनके पिता किसान मदन पंडित करीब 5 बीघा जमीन पर आश्रित हैं। उनके 6 बेटे हैं, दो बड़े भाई मुंबई के किसी गैराज में काम करते हैं। एक भाई इंजीनियरिंग कर रहा है। एक छोटा भाई अभी 10वीं में है। पढ़ाई का खर्च दोनों बड़े भाइयों ने उठाया। कोचिंग ने भी इस साल फीस में 75 फीसदी तक छूट दी।