RBI के नए गवर्नर ने आम जनता को दिया ये ख़ास तोहफा
दीवाली से पहले ही आरबीआई के नए गवर्नर उर्जित पटेल ने आम जनता को एक ख़ास तोहफा दिया है। दरअसल उर्जित ने मंगलवार को अपने कार्यकाल की पहली मौद्रिक समीक्षा पेश की। इस समीक्षा के ज़रिए उर्जित ने बताया कि आरबीआई ने रेपो रेट को 6.50 से घटाकर 6.25 कर दिया है।
रेपो रेट की कटौती करने से क्या होगा?
गौरतलब है कि आरबीआई ने पहली बार ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए मौद्रिक नीति समिति की मदद ली थी जिसे हाल ही में सरकार ने अधिसूचित किया था। बैंकों की ओर से अगर आरबीआई की इस कटौती को आगे ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है तो आने वाले दिनों में आपके घर और वाहन की ईएमआई में कटौती होती दिख सकती है।
कटौती पर फ़ैसला कैसे हुआ?
रेपो रेट को कम करने के लिए मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्यों ने वोट किया था। द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा में मार्च 2017 तक खुदरा मुद्रास्फीति दर 5 फीसद रहने की उम्मीद जताई गई है। हाल में गठित रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मंगलवार को अपनी पहली मौद्रिक नीति की समीक्षा की। बता दें कि यह वित्तीय वर्ष 2016-17 की चौथी द्विमासिक समीक्षा है।
क्या है रेपो रेट?
-रोजमर्रा के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी-बड़ी रकमों की ज़रूरत पड़ जाती है, और ऐसी स्थिति में उनके लिए देश के केंद्रीय बैंक, यानी कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऋण लेना सबसे आसान विकल्प होता है। इस तरह के ओवरनाइट ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे ही रेपो रेट कहा जाता है।
– अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि जब बैंकों को कम दर पर ऋण उपलब्ध होगा, तो वे भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी ब्याज दरों में कमी कर सकते हैं। ठीक इसी तरह यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा, तो बैंकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाएगा, और वे भी अपने ग्राहकों से वसूल की जाने वाली ब्याज दरों को बढ़ा देंगे।
उर्जित के इस मौद्रिक नीति का असर शेयर मार्केट पर भी दिखा
– आरबीआई की इस मॉनिटरी पॉलिसी का असर बाजार पर भी पड़ा। मंगलवार को बाजार बढ़त के साथ बंद हुए। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 91.26 अंक की तेजी के बाद 28,334.55 के स्तर पर और निफ्टी 33.25 अंकों की तेजी के साथ 8,771.35 के स्तर पर बंद हुए हैं।